झारखंड: झारखंड का गुमला जिला शिवनगरी के नाम से जाना जाता है, यहां के कण कण में भगवान शिव बसते हैं.गुमला जिले में एक ऐसा ही गांव है जहां हर जगह भगवान शिव विराजमान हैं.इस गांव को हनुमान जी की जन्मस्थली आंजनधाम के नाम से भी जाना जाता है. जिला मुख्यालय से लगभग 19 किमी दूर चारों ओर हरे भरे पेड़ पौधे व ऊंची पहाड़ियों की चोटी में स्थित आंजन में 360 शिवलिंग ,360 महुआ के पेड़ और 360 तालाब होने के प्रमाण हैं.मान्यता के अनुसार हनुमान जी की माता अंजनी रोजाना एक महुआ पेड़ से दतवन करती थीं और तालाब में स्नान कर शिवलिंग में जलाभिषेक करती थी.
आंजन गांव के कण-कण में बसे हैं हनुमान
आंजन गांव के कण-कण में हनुमान बसे हैं.इस गांव के पग-पग पर भगवान शिव का दर्शन होता है. समय के साथ कुछ तालाब, पेड़ व शिवलिंग नहीं रहे, लेकिन यहां थोड़ी- थोड़ी दूरी पर आज भी शिवलिंग, महुआ का पेड़ व शिवलिंग का दर्शन होता है. यह पहला ऐसा मंदिर है जहां हनुमान जी अपने बाल स्वरूप में मां अंजनी की गोद में विराजमान हैं.मान्यता है कि हनुमानजी भगवान शिव के 11वें रुद्रावतार हैं. इसी पहाड़ की चोटी पर गुफा में माता अंजनी ने हनुमानजी को जन्म दिया था.इसलिए इसे आंजनधाम के नाम से जाना जाता है. मंदिर के नीचे एक सर्प गुफा है ,जहां श्रद्धालुओं को नाग देवता के दर्शन होते हैं.
पहाड़ों, खेतों और जंगलों में मिलते हैं शिवलिंग
आंजनधाम में कई शिवलिंग पहाड़ के ऊपर हैं तो कुछ शिवलिंग खेत व जंगल के बीच हैं,कुछ शिवलिंग को लोगों ने घेराबंदी कर घर बना लिया है. देखरेख के आभाव व वर्षो तक पूजा नहीं होने के कारण कई शिवलिंग क्षतिग्रस्त हो गए हैं.
हनुमान जी की जन्मस्थली है आंजन धाम
आंजन धाम के पुजारी केदारनाथ पांडे ने Bharat.one को बताया कि आंजन धाम हनुमान जी की जन्मस्थली मानी जाती है.और आंजन धाम में माता अंजनी अपने पिता गौतम ऋषि से श्राप पाकर यहां पहुंची.मां अंजना को उसके पिता गौतम ऋषि ने श्राप दिया था कि तुम्हें बिन वियाहे पुत्र पैदा होगा. वह श्रापित होकर यहां अंजान पर्वत आई,जहां उसे कोई न देखें.आंजन धाम को अंजना पर्वत के नाम से रामायण में वर्णन है.और मां यहां गुफा में रहती थी.उस समय यहां 360 महुआ का पेड़,360 तालाब और 360 शिवलिंग मौजूद थे.मां अंजना यहां रोजाना एक महुआ के पेड़ से दत्तवन,एक तालाब से स्नान और रोजाना एक शिवलिंग की पूजा करती थी.जिससे भगवान शिव काफी प्रसन्न हुए और मां अंजना के पास यहां भिक्षुक के रूप में पहुंचे.और मां अंजना को गुरु दीक्षा दिए. जिससे उनका बिजार्रपन हुआ और माता अंजनी रुद्र अवतार में हनुमान जी को जन्म दिए.
उस समय जो यहां 360 महुआ का पेड़,360 तालाब और 360 शिवलिंग मौजूद थे,वह धीरे धीरे विलुप्त हो गए.कुछ पैड गिर गए तो कुछ काट लिए गए,कुछ तालाब खेत बन गई और कुछ शिवलिंग जमीन के अंदर दब गई.यहां आज भी साक्ष्य के रूप में 45 महुआ का पेड़,45 तालाब और 45 शिवलिंग मौजूद है.
FIRST PUBLISHED : September 10, 2024, 12:23 IST
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