पाली. राजस्थान के पाली का हर जायका वैसे तो निराला है मगर जब आप बात खानपान की करें तो यहां के मिर्ची बडे़ का जिक्र न हो ऐसा हो ही नही सकता. आपको हैरानी होगी कि पाली शहर में प्रतिदिन 5 से 10 हजार तक मिर्चीबडे अकेले पाली शहर के लोग खा जाते है. ऐसे में जब बारिश का समय हो तो इसकी डिमांड और दुगनी हो जाती है.
पाली में इन दिनों बारिश के मौसम के साथ ही मिर्चीबड़ों की डिमांड काफी हद तक बढ गई है. लोग लाइनें लगाकर गर्मागर्म मिर्चीबडे खाने के लिए पहुंच रहे है. मिर्ची बड़े के दीवाने केवल पाली में ही नहीं देश और विदेशों में भी है. यहां तक कि लंदन में तो मिर्चीबड़ा फेस्टिवल भी हो चुका है. इस मिर्चीबडे को आप अगर एक बार देख ले तो आपका मन इतना ललचा जाएगा कि इसको खाए बिना आप यहां से निकल ही नही पाएंगे.
स्वाद इतना टेस्टी की हर मौसम में रहती है डिमांड
चाहे सर्दी का मौसम हो या गर्मी का. तेज बारिश पड़ रही हो या घना कोहरा छाया हो. पाली के तमाम नमकीन की दुकानों पर भीड रहती है. मगर खासतौर पर स्वाद के लिहाज से बात की जाए तो पाली के मेडतिया स्वीट की बात ही कुछ अलग है. यहां पर लोग मिर्चीबडा खाने के लिए अपनी बारी का इंतजार करते है कि कब गर्मागर्म मिर्चीबडे निकलकर आए और वह उसको खाकर अपना पेट भरे.
बारिश में बिक्री हो जाती है तीन गुना
पाली के मेड़तिया स्वीट होम पर मिर्चीबड़े बनाने वाले जगदीश ने कहा कि आम दिनों में 5 से 10 हजार तक मिर्चीबड़े बिक जाते हैं. वहीं बारिश का जब समय हो तो इसकी संख्या दो से तीन गुना हो जाती है. यहां पर मिर्चीबडे के साथ-साथ प्याज की कचोरी से लेकर प्याज का कोपता भी लोगों को खूब पसंद आता है. इसमें खासतौर पर जैन मसाला भी डाला जाता है ताकि जैनी भी इसको खा सके.
ऐसा नही कोई कोना जहां न मिलता हो यह मिर्चीबड़ा
हालांकि पाली शहर का ऐसा कोई कोना नहीं, जहां मिर्ची बड़ा नहीं बिकता हो. हर दुकान पर इसके शौकीनों की जबरदस्त भीड़ रहती है. ताजा हरी मिर्च में आलू का मसाला भरकर बेसन के घोल में डिप कर तेल में फ्राई के बाद तैयार हुए गरमा-गरम मिर्ची बड़े को खाने के लिए ग्राहक घंटों का इंतजार भी कर लेते हैं.
इस तरह बनता है यह मिर्चीबड़ा
आलू को उबाल कर, उसे मैश कर स्वादानुसार नमक, मिर्च, हींग, राई, साबुत धनिया आदि मसाले डाल कर उसे मिक्स किया जाता है. बारीक प्याज, पुदीना व हरा धनिया भी काट कर डाला जाता है. मसाले में काजू टुकड़ी डालकर मसाला तैयार होता है. साबुत बड़ी हरी मिर्च लेकर उसमें चाकू से चीरा लगाकर आलू का मसाला भरते हैं. जितनी मिर्ची हो उसके अनुपात में बेसन का घोल तैयार करते हैं.
बेसन के घोल में स्वादानुसार नमक व मिर्च पाउडर डालते है. मसाले से भरी मिर्च को बेसन के घोल में डिप कर गरम खौलते तेल की कढ़ाई में तला जाता है. अच्छे से तलने के बाद उसे कड़ाही से बाहर निकालकर खाने के लिए सर्व किया जाता है. स्वाद बढ़ाने के लिए हरी और मीठी चटनी भी सर्व की जाती है.
विदेशों तक हो रहा कारोबार
मिर्ची बड़ा वैसे तो पाली और जोधपुर का ही प्रसिद्ध है, लेकिन कॉमन रेसिपी ने इसका स्वाद देश के कोने-कोने तक पहुंचा दिया है. आज लोग घरों में भी मिर्ची बड़ा बड़े चाव से बनाते हैं. जोधपुर के कई लोग विदेश जाकर बस चुके हैं, लेकिन यहां से अपने साथ मिर्ची बड़ा जरूर लेकर जाते हैं. बीते साल 18 जुलाई 2020 में लंदन में बसे प्रवासी राजस्थानियों ने तो मिर्ची बड़ा फेस्टिवल आयोजित किया था, जिसमें 300 से ज्यादा लंदन वासियों ने भी इसका स्वाद चखा था.
FIRST PUBLISHED : September 14, 2024, 24:32 IST
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