Thursday, November 6, 2025
21.9 C
Surat

मान्यता! इस मंदिर में हवन कुंड की लपटों में प्रकट होते हैं गणेशजी, लाल कपड़े पहनकर दर्शन करने पहुंचते हैं भक्त-Ganesha-temple-hawan-kund-red-clothes-Unique-structure-of-idol


खरगोन. मध्य प्रदेश के खरगोन जिले के सनावद में स्थित उच्छिष्ट महागणपति मंदिर की अपनी एक अलग ही खासियत है. इस मंदिर में भगवान गणेशजी के दर्शन महीने में सिर्फ एक ही बार होते हैं मंदिर के पुजारी ने बताया कि मंदिर को सिर्फ चतुर्थी के दिन खोला जाता है. दावा है कि गणेशोत्सव के दौरान भगवान गणेश खुद प्रकट होकर भक्तों को दर्शन देते हैं.

हर साल गणेशोत्सव के दस दिनों के दौरान इस मंदिर में विशेष अनुष्ठान होते हैं, लेकिन आखरी दिन सबसे महत्वपूर्ण होता है. इस दिन मंदिर में एक विशेष यज्ञ का आयोजन किया जाता है, जो यहां की परंपरा का हिस्सा है.

भगवान के साक्षात दर्शन
यज्ञ के समय एक अद्भुत दृश्य देखने को मिलता है जब मंदिर के पुजारी पंडित आशीष बर्वे हवन कुंड में जलती आग के बीच लेट जाते हैं. स्थानीय लोग बताते हैं कि उस समय आग उन्हें छू भी नहीं पाती है. मान्यता यह भी है कि जैसे ही यज्ञ पूरा होता है, उसी समय हवन कुंड की अग्नि की लपटों में भगवान गणेश प्रकट होते हैं और भक्तों को दर्शन देते हैं.

मंदिर की अनोखी मूर्ति
उच्छिष्ट महागणपति मंदिर में विराजमान भगवान गणेश की दुर्लभ मूर्ति ही इस मंदिर को खास बनाती है. यहां भगवान चतुर्भज रूप में कमलासन है. उनकी गोद में नील सरस्वती देवी बैठी है. ऐसी मूर्ति न केवल भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में और कहीं भी देखने को नहीं मिलती. हालांकि, उच्छिष्ट महागणपति के दो और भी मंदिर है. पहला दक्षिण भारत और दूसरा चीन में है. लेकिन, यह दोनों मंदिर अब खंडहर हो चुके है. ऐसे में खरगोन का यही एकमात्र मंदिर शेष है, जहां भगवान पूर्ण कलाओं के साथ विराजमान हैं.

यहां भगवान के दर्शन हर महीने की चतुर्थी को ही होते हैं. मान्यता है कि जो भक्त पान चबाते हुए या गुड़ खाते हुए भगवान के दर्शन करता है, उसकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं. शास्त्रों में भी उच्छिष्ट महागणपति को जल्दी फल देने वाला बताया गया है.

यज्ञ में शामिल होने की तैयारी
इस साल 16 सितंबर 2024 को इस खास यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है. इस यज्ञ में शामिल होने के लिए भक्तों को पहले अपने घर में एक नारियल पर स्वस्तिक बनाना होगा और उसका पूजन करना होगा. इसके बाद उस नारियल को मंदिर लाना है और सफेद कागज पर लाल स्याही से अपनी मनोकामनाएं लिखनी होगी. साथ ही, भक्तों को लाल वस्त्र पहनकर मंदिर में आना होगा. यज्ञ के दौरान नारियल से हवन कुंड में आहुति दी जाएगी.

यज्ञ और दर्शन का समय
यज्ञ की शुरुआत 8:45 बजे मंदिर परिसर में स्थापित देवताओं के पूजन के साथ होगी. इसके बाद 9:30 से 11 बजे तक संकल्प लिया जाएगा और 11:50 बजे से अग्नि स्थापन कर यज्ञ शुरू होगा, जो दोपहर तक चलेगा. जैसे ही यज्ञ समाप्त होगा और अग्नि में भगवान गणेश प्रकट होंगे, भक्तों को आहुति देने का अवसर मिलेगा. जो भक्त केवल दर्शन के लिए आना चाहते हैं, उन्हें दोपहर बाद मंदिर में प्रवेश मिलेगा. दर्शन के लिए लाल वस्त्र पहनना अनिवार्य नहीं है, लेकिन यज्ञ में शामिल होने वाले भक्तों को लाल वस्त्र पहनना जरूरी है.

आस्था का अद्भुत दृश्य
हर साल इस विशेष यज्ञ और भगवान गणेश के दर्शन के लिए सैकड़ों श्रद्धालु मंदिर में आते हैं. यह अनोखी परंपरा और चमत्कार भक्तों के लिए अटूट आस्था का प्रतीक है. यहां भगवान गणेश के दर्शन करना एक ऐसा अनुभव है जिसे कोई भी भक्त जीवन भर नहीं भूल सकता.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

Hot this week

Topics

spot_img

Related Articles

Popular Categories

spot_imgspot_img