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कॉरपोरेट मजदूरी में शिफ्ट करते हैं लंबी, छोटी हो जाएगी आयु, WHO ने माना 7.5 लाख मौत इसी वजह से


Long working hour’s effects: वर्तमान दुनिया कॉरपोरेट के इर्द-गिर्द घूम रही है. जीवन के अधिकांश क्षेत्रों में कॉरपोरेट कल्चर हावी है. इसलिए अधिकांश लोग भी कॉरपोरेट कल्चर से जुड़े हुए हैं. कॉरपोरेट में काम करने वाला हर व्यक्ति चाहे वह ऑफिस में हो या घर में, हर पल चौकन्ना रहना पड़ता है. यहां घंटों के हिसाब से काम या प्रोडक्शन का समय तय तो है लेकिन डिजिटल क्रांति के बाद लोगों को हमेशा घरों से भी काम करना पड़ता है और 24 घंटे ऑफिस के मैसेज से अलर्ट रहना पड़ता है.

हालांकि नियमतः सप्ताह में 5 दिन 9 घंटे की शिफ्ट करनी होती है लेकिन कुछ लोगों को मैनेजमेंट अनावश्यक ज्यादा टारगेट दे देते हैं जिस कारण नौकरी बचाने के लिए वे नियत समय से ज्यादा काम करते हैं. वहीं कुछ लोग ऐसे होते हैं कि पद पाने की महत्वाकांक्षा के कारण बॉस की नजरों में आने के लिए लंबी शिफ्ट करते हैं.विश्व स्वास्थ्य संगठन की मानें तो यह लंबी शिफ्ट बेहद घातक हो सकती है.अगर लंबे समय से लंबी शिफ्ट में काम करता है तो उसमें स्ट्रोक और हार्ट अटैक से मौत का जोखिम कई गुना बढ़ जाता है.

55-घंटे से ज्यादा काम स्ट्रोक को दावत
टीओआई में छपी खबर ने बताया है कि डब्ल्यूएचओ के मुताबिक सप्ताह में 55 घंटे से अधिक शिफ्ट करना स्ट्रोक के रिस्क को 35 प्रतिशत और हार्ट डिजीज के रिस्क को 17 प्रतिशत तक बढ़ा देता है. कॉरपोरेट कल्चर में सप्ताह में 45 घंटे काम का समय तय है. 55-घंटे का मतलब हुआ हर दिन 2-घंटे ज्यादा काम करना. रिपोर्ट के मुताबिक 2016 में ज्यादा समय तक काम करने के कारण 7.45 लाख लोगों की मौत स्ट्रोक और हार्ट डिजीज से हुई. 2000 के बाद से लंबी शिफ्ट की वजह से होने वाली मौत की संख्या में 29 प्रतिशत का इजाफा हुआ है.ऐसे में सवाल उठता है कि क्या सफलता पाने की गलाकाट चाहत की कीमत हमें मौत से चुकानी पड़ेगी.

पद पानी की महत्वाकांक्षा की भारी कीमत
रिपोर्ट के मुताबिक चीफ एग्जक्यूटिव बनने की महत्वाकांक्षा में लोग अपनी हेल्थ यहां तक कि परिवार और खुद को भूल जाते हैं. उनके लिए समय कोई मायने नहीं रखता है. लेकिन इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ती है. कई स्टडीज में पाया गया है कि ज्यादा समय तक शिफ्ट करने से हाइपरटेंशन और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है. लंबी शिफ्ट न सिर्फ हार्ट पर नकारात्मक असर डालता है बल्कि इससे नींद का पैटर्न खराब होता है. जब आप ऑफिस में 14 घंटे काम करेंगे तो निश्चित रूप से आपको रात में सोने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिलेगा. इससे आपकी इम्यूनिटी कमजोर होगी और आप हमेशा थके रहेंगे. इससे एक नहीं कई तरह की दिक्कतें होंगी. दरअसल, जब आप सोते हैं तभी आपका शरीर खुद का मरम्मत करता है लेकिन ऐसा नहीं होने से ये नहीं होगा और आप अक्सर बीमार पड़ेंगे.

मोटापा और डायबिटीज के शिकार
लंबे समय तक काम करने से मोटापा और डायबिटीज के शिकार बनेंगे.खासकर यदि आप डेस्क वर्क करते हैं तो इसका ज्यादा नुकसान होगा. लंबे समय तक काम करने से आप मानसिक रूप से भी चिड़चिड़े हो जाएंगे. अंडर प्रेशर में काम करने से और ज्यादा नुकसान होगा. तनाव ज्यादा होगा और ऐसा रेगुलर रहने से डिप्रेशन और एंग्जाइटी के शिकार हो जाएंगे. लंबे समय तक काम करने से बौद्धिक क्षमता में भी कमी होगी. ब्रेन फंक्शन कमजोर हो जाएगा. किसी चीज पर ध्यान केंद्रित करने में परेशानी होगी. इससे पर्सनल रिलेशन पर भी असर पड़ेगा. लोगों के साथ संबंध बिगड़ जाएंगे. कुल मिलाकर लंबी शिफ्ट में काम करना किसी भी तरह से सही नहीं है.

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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/health-who-says-long-working-hours-increasing-risk-of-stroke-and-heart-disease-deaths-8694498.html

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