Pitru Paksha 2024: पितृ पक्ष का समय बेहद अहम होता है. इस साल पितृपक्ष 17 सितंबर पूर्णिमा से शुरू होकर सर्वपितृ अमावस्या को समाप्त हो रहे हैं. सर्ववितृ अमावस्या की तिथि 2 अक्टूबर है. पितृ पक्ष पूर्वजों को विशेष रूप से श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए मनाया जाता हैं. वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल पितृ पक्ष 16 दिन के होंगे. धार्मिक मान्यताओं की मानें तो इस अवधि के दौरान लोग पितृ तर्पण और पिंडदान समेत अन्य पूजन अनुष्ठान करते हैं, जिनके करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है. लेकिन कई लोगों को अपने पितरों के तर्पण की तिथि नहीं पता है. ऐसे में जानिए ज्योतिष व वास्तु विशेषज्ञ, डॉ. मधुप्रिया से कि भूले-बिसरे या अकाल मृत्यु पाने वाले पितरों का तर्पण और दान-पुण्य कैसे करना चाहिए.
अविवाहित पितरों का कैसे करें तर्पण
ज्योतिष व वास्तु विशेषज्ञ, डॉ. मधुप्रिया बताती हैं, ‘कई घरों में देखा जाता है कि किसी की आकस्मिक मृत्यु हो जाती है या किसी की बहुत छोटी उम्र में मृत्यु हो जाती है. उनका सही से तर्पण नहीं हो पाता. ऐसे में उस घर में किसी न किसी तरह की परेशानी या समस्या बनी रहती है. परिवार पर कई आकस्मिक परेशानियां, हेल्थ से जुड़ी परेशानियां देखने को मिलती हैं. ऐसे घरों में पितृदोष रहता है और इन घरों में आप टूटते हुए रिश्ते देखते हैं या आर्थिक नुकसान होने लगता है. नाराज पितरों के इसी दोष से मुक्ति के लिए सबसे अच्छा समय पितृपक्ष ही माना जाता है.’
डॉ. मधुप्रिया आगे बताती हैं, ‘अगर कोई ऐसा व्यक्ति हो जिसकी शादी की उम्र हो, पर अविवाहित अवस्था में ही उसका देहांत हो गया हो तो इनके लिए भरणी पंचमी तिथि के दिन किया गया श्राद्ध तर्पण या फिर दान उन्हें शांति एवं सुख प्रदान करता है और उनका आशीर्वाद हमें प्राप्त होता है. पंचांग के अनुसार पंचमी तिथि 21 सितंबर को है. इसी तरह से अगर कोई ऐसी महिला हो, जिसके देहांत की तिथि सही न पता हो, तो उनके लिए नवमी के दिन श्राद्ध तर्पण करना चाहिए. इस तरह महिला का तर्पण करने से यदि आपकी कुंडली में कोई मातृ ऋण है जो उससे आप निकल जाते हैं. इस साल नवमी तिथि 25 सितंबर को पड़ रही है.

वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल पितृ पक्ष 16 दिन के होंगे.
अकाल मृत्यु हुई हो तो
डॉ. मधुप्रिया बताती हैं कि यदि आपके किसी परिजन की अकाल मृत्यु या आकस्मिक मौत हुई हो. या आपको कुछ दिनों के बाद पता चले कि कहां मृत्यु हुई या कैसे मृत्यु हुई है, या कभी-कभी मर्डर होते हैं, जिनके बारे में बाद में पता चलता है. तो ऐसी परिस्थिति में ऐसे पितरों के लिए, चाहे उनकी उम्र कुछ भी हो, दान-पुण्य करना चाहिए. पितृपक्ष में चतुर्दशी तिथि को उनका तर्पण करना चाहिए जिनकी अकाल मृत्यु हुई हो. ये आपको आकस्मिक बाधाओं से दूर करता है. ऐसी आत्माएं भी इस दौरान आती हैं, जो हमसे सम्मान की उम्मीद करती हैं, तो उनका भी तर्पण और दान-पुण्य करना चाहिए. अगर कोई भी ऐसा पितृ है, जिनकी तिथि नहीं पता है, तो सर्वपितृ अमावस्या के दिन ऐसे सभी भूले-बिसरे पितरों का तर्पण कर सकते हैं. चाहे तिथि आपको पता है या न पता हो, आप तर्पण कर सकते हैं. इस बार सर्वपितृ अमावस्या की तिथि 2 अक्टूबर को है.
इस साल कन्या राशि में केतु और मीन राशि में राहू 18 साल बाद आए हैं. इसलिए सूर्य केतु के साथ विद्यमान रहेंगे. जिनकी भी कुंडली में सूर्य-केतु दोष है, या ग्रहण योग या पितृ दोष बन रहा है, उनके लिए अपने वजन के अनुसार पितृ के नाम पर गुड़ का दान करना बहुत ही अच्छा रहेगा. ये दान आप किसी बुजुर्ग ब्राह्मण को करें. क्योंकि राहु की दृष्टि भी सूर्य पर रहेगी. तो यदि आप किसी भी तरह के रोग से आप पीड़ित हैं, तो आपको खीर में केसर डालकर उसका दान करना चाहिए.
FIRST PUBLISHED : September 17, 2024, 16:15 IST
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https://hindi.news18.com/news/dharm/pitru-paksha-2024-how-to-offer-tarpan-to-untimely-dead-or-unmarried-ancestors-if-you-do-not-know-the-date-shraddha-tithi-astrologer-dr-madhupriya-8695768.html