Saturday, November 22, 2025
31 C
Surat

गर्भवती महिलाओं और बच्चों पर प्रदूषण का ज्यादा असर, जानें कैसे करें फेफड़ों की सुरक्षा?


देहरादून. प्रदूषण का बढ़ता खतरा हमारे स्वास्थ्य पर गहराई से असर डाल रहा है, खासकर गर्भवती महिलाओं और कम उम्र के बच्चों पर. हम भले ही तकनीकी उन्नति के शिखर पर पहुंच चुके हों, लेकिन इसका काला साया हमारे पर्यावरण पर साफ नजर आ रहा है. गाड़ियों से निकलने वाला जहरीला धुआं, फैक्ट्रियों के हानिकारक रसायन और तेजी से हो रहे निर्माण कार्यों ने हमारी सांस लेने वाली हवा को जहर से भर दिया है. इन हानिकारक तत्वों का असर केवल आज तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों के स्वास्थ्य और विकास पर भी छाया डाल सकता है.

इस गंभीर समस्या के बारे में गहराई से समझने के लिए Bharat.one ने उत्तराखंड की राजधानी देहरादून निवासी जाने-माने चेस्ट स्पेशलिस्ट डॉ जगदीश रावत से बातचीत की. उन्होंने प्रदूषण के खतरे से फेफड़ों को सुरक्षित रखने के कुछ अहम और सरल उपाय बताए हैं. आइए जानते हैं, कैसे आप भी अपनी और अपने परिवार की सेहत का ख्याल रख सकते हैं.

ये हैं वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण
Bharat.one से बातचीत करते हुए चेस्ट स्पेशलिस्ट डॉ जगदीश रावत ने कहा कि गाड़ियों से निकलने वाला धुआं, फैक्ट्रियों की चिमनियों से निकलते हानिकारक रसायन और कंस्ट्रक्शन साइट से मूलत: वायु प्रदूषण होता है. जब श्वसन नली के जरिए जहरीली हवा फेफड़ों तक पहुंचती है, तो इसका असर सिर्फ गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं पर ही नहीं बल्कि बुजुर्गों व सांस की समस्या से पीड़ित लोगों भी पड़ता है. अगर किसी को कोई भी समस्या न हो, फिर भी उसमें एलर्जी के लक्षण जरूर दिखेंगे.

ये लक्षण दिखें तो हो जाएं सतर्क
डॉ रावत ने कहा कि स्वस्थ व्यक्ति भी वायु प्रदूषण का शिकार हो जाता है. आंखों में जलन, त्वचा संबंधी बीमारी, नजला जुकाम, सांस की नली में सूजन जैसी समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं. ये सब परेशानियां वायु प्रदूषण बढ़ने से होती हैं. दूषित हवा हम मुंह या नाक के जरिए लेते हैं, जो हमारे फेफड़ों तक पहुंचती है. शुरुआत में एलर्जी की दिक्कत हमारे नाक या मुंह से होती है, जैसे- नाक बहना, छींकें आना, गले में खराश, बुखार आना, खांसी, अस्थमा बीमारी से जूझ रहे इंसान को रात के समय सीटी जैसी आवाज सुनाई देना प्रमुख लक्षण हैं.

इन उपायों से कम हो सकता है असर
उन्होंने आगे कहा कि अगर किसी को पहले से कोई बीमारी जैसे- अस्थमा, डर्मेटाइटिस, एलर्जी गर्नेटिस है, तो उन्हें वायु प्रदूषण बढ़ने के दौरान उपचार करवाना ही होगा. घर से बाहर निकलते समय या भीड़भाड़ वाले इलाकों में जाने से पहले मास्क जरूर पहनें. विटामिन सी से प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है. विटामिन सी से भरपूर फल व अन्य खाद्य सामग्रियों का सेवन कर सकते हैं.

क्या है वायु प्रदूषण?
डॉ रावत ने बताया कि वायु प्रदूषण तब होता है, जब हवा में हानिकारक पदार्थ मिल जाते हैं, जिससे हवा की गुणवत्ता में गिरावट आती है और यह हमारे स्वास्थ्य और पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव डालती है. वाहनों के इंजन से निकलने वाले धुएं में नाइट्रोजन ऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैट्रस होते हैं, जो हवा को प्रदूषित करते हैं. फैक्ट्रियों और उद्योगों से निकलने वाले धुएं और रसायन जैसे कि सल्फर डाइऑक्साइड, हानिकारक गैसों और धूल के कण हवा को प्रदूषित करते हैं.

Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Bharat.one किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.


.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.

https://hindi.news18.com/news/lifestyle/health-pollution-can-harm-pregnant-women-and-infants-dr-tips-to-keep-lungs-safe-local18-8699003.html

Hot this week

Topics

Sabudana Onion Chilla Recipe। साबूदाना प्याज चीला रेसिपी

Sabudan Onion Chilla Recipe: सर्दियों में हो या...

Why Krishna Krishna is not chanted। कृष्ण-कृष्ण क्यों नहीं बोलते

Hindu Chanting Traditiong: नाम जाप को हिंदू धर्म...
spot_img

Related Articles

Popular Categories

spot_imgspot_img