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भगवान विष्णु का 7वां अवतार कौन सा है? ज‍िसने कई जातियों को एकता के सूत्र में बांधा, जानें कथा


Lord Rama Avatar: पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु पूरे ब्रह्माण्ड के देवता माने जाते हैं. पौराणिक कथाओं में भगवान विष्णु के दो चेहरों के बारे में बात कही जाती है, एक तरफ, वह शांत सुखद और कोमल के रूप में दिखाई देते हैं और दूसरी तरफ जहाँ वह शेषनाग पर बैठे रहते हैं और वंही दूसरी तरफ उनका चेहरा कुछ अलग प्रतीत होता है. ऐसे तो भगवन विष्णु के कुल 24 अवतार पौराणिक कथाओं में उल्लेखनीय हैं लेकिन उनके 10 अवतारों को प्रमुख अवतार माना जाता है. इससे पहले Bharat.one Hindi पर आर्टिकल सीरीज के माध्यम से 6 अवतारों के बारे में विस्तार से बता चुके हैं. आज हम आपको उनके 7वें अवतार मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम अवतार के बारे में विस्तार से बताएंगे.

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श्रीराम जन्म का उद्देश्य :
त्रेतायुग में राक्षसराज दशानन रावण का बहुत आतंक था, उससे देवता भी डरते थे. उसके वध के लिए भगवान विष्णु ने राजा दशरथ के यहां माता कौशल्या के गर्भ से पुत्र के रूप में जन्म लिया. इस अवतार में भगवान विष्णु ने अनेक राक्षसों का वध किया और मर्यादा का पालन करते हुए अपना जीवनयापन किया.
पिता के कहने पर वनवास गए. वनवास भोगते समय राक्षसराज रावण उनकी पत्नी जगतजननी माता सीता का हरण कर ले गया. माता सीता की खोज में भगवान लंका पहुंचे, वहां भगवान श्रीराम और रावण का घनघोर युद्ध हुआ जिसमें रावण मारा गया. इस प्रकार भगवान विष्णु ने राम अवतार लेकर देवताओं को भय मुक्त किया.

सनातनियों को एक सूत्र में बांधने का काम किया : वनवास के दौरान भगवान श्री राम ने देश के सभी आदिवासियों और दलितों को संगठित करने का कार्य किया और उनको जीवन जीने की शिक्षा दी. उन्होंने देश के सभी संतों और उनके आश्रमों को राक्षसों, दैत्यों के आतंक से बचाया था. अपने 14 वर्ष के वनवास के दौरान भगवान राम ने भारत की सभी जातियों और संप्रदायों को एक सूत्र में बांधने का कार्य किया. चित्रकूट में रहकर भी उन्होंने धर्म और कर्म की शिक्षा दीक्षा ली, भगवान राम ने अखंड आर्यावर्त्त में भ्रमण कर भारतीय आदिवासी, जनजाति, पहाड़ी और समुद्री लोगों के बीच सत्य, प्रेम, मर्यादा और सेवा का संदेश फैलाया और यही कारण था कि राम का जब रावण से युद्ध हुआ तो सभी तरह की अनार्य जातियों ने श्रीराम का साथ दिया.

श्रीराम के जीवन के बारे में रोचक बातें :

1. वनवास के समय भगवान राम 27 साल के थे.
2. लव और कुश श्रीराम तथा माता सीता के दो जुड़वां बेटे थे.
3. राम-रावण युद्ध के समय इंद्र देवता ने भगवान श्री राम के लिए दिव्य रथ भेजा था.
4. भगवान श्री राम ने पृथ्वी पर 10 हजार से भी अधिक वर्षों तक राज किया.
5. भगवान राम का जन्म चैत्र नवमी में हुआ था जिसको भारतवर्ष में रामनवमी के रूप में मनाया जाता है.
6. भगवान राम ने रावण को मारने के बाद रावण के ही छोटे भाई विभीषण को लंका का राजा बना दिया था.

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7. गौतम ऋषि ने अपनी पत्नी अहिल्या को पत्थर बनने का श्राप दिया था और इस श्राप से भगवान राम ने ही उन्हें मुक्ति दिलाई थी.
8. अरण्य नाम के एक राजा ने रावण को श्राप दिया था कि मेरे वंश से उत्पन्न युवक तेरी मृत्यु का कारण बनेगा और भगवान राम इन्ही के वंश में जन्मे थे.
9. माता सीता को रावण की कैद से आजाद कराने के लिए रास्ते में पड़े समुद्र को पार करने के लिए भगवान राम ने एकादशी का व्रत किया था.
10. वनवास वापसी के बाद भगवान राम के अयोध्या वापसी की खुशी में अयोध्यावासियों ने दीप जलाए थे तब से दिवाली का त्योहार मनाया जाता है.

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