अयोध्या: सनातन धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व होता है. पितृपक्ष को श्राद्ध पक्ष के नाम से भी जाना जाता है. पितृपक्ष में पितरों का श्राद्ध और तर्पण जैसे कर्मकांड किए जाते हैं. धार्मिक मान्यता के मुताबिक पितृ पक्ष के दौरान पितृ संबंधित कार्य करने से पितृ को मोक्ष की प्राप्ति होती है. साथ ही जीवन में सुख समृद्धि बनी रहती है. पितृ पक्ष की शुरुआत भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से होती है. तो वही इसका समापन आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर होती है.
इस साल हिंदू पंचांग के अनुसार 2 अक्टूबर को पितृ पक्ष का समापन होगा. 16 दिनों से चले आ रहे श्राद्ध पक्ष का समापन सर्वपितृ अमावस्या को होता है. यदि किसी ने अपने पितरों की तिथि को श्रद्धा ना किया हो तो इस अमावस्या पर कर सकते हैं. तो चलिए आज हम आपको इस रिपोर्ट में बताते हैं कि क्या है पितृ अमावस्या का शुभ मुहूर्त .
अयोध्या के ज्योतिषी पंडित कल्कि राम बताते हैं कि आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि की शुरुआत 1 अक्टूबर रात्रि 9:39 से शुरू होकर और समापन 2 अक्टूबर दोपहर 12:18 पर होगा. तो दूसरी तरफ कुतुप मुहूर्त सुबह 11:46 से लेकर दोपहर 12:34 तक है. इसके अलावा रोहिणी मुहूर्त 12:34 से लेकर 1:21 मिनट तक रहेगा .
अमावस्या तिथि के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए. आप घर में ही स्नान कर रहे हैं तो घर में गंगाजल मिलाकर ही स्नान करें. स्नान करने के बाद घर के मंदिर में दीपक प्रज्वलित करें. भगवान सूर्य को अर्घ दें. अगर इस दिन उपवास रख सकते हैं तो उपवास भी रखें. अमावस्या तिथि के दिन पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व होता है.
पिंडदान
पिंडदान श्राद्ध का प्रमुख हिस्सा है. पिंड बनाने के लिए चावल, जौ का आटा, तिल, गाय का घी और कुश का उपयोग किया जाता है. इस गोलाकार पिंड को पवित्र कुशा (घास) पर रखकर, पितरों को अर्पित किया जाता है.
FIRST PUBLISHED : October 2, 2024, 08:35 IST
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