नागौर: भारत में कई सारे ऐसे मंदिर हैं, जहां से दिलचस्प कहानियां जुड़ी हुई हैं. ऐसा ही एक प्रसिद्ध मंदिर नागौर जिले में स्थित है. नागौर-कुचामन-नावां क्षेत्र में नमक झील के पास पगल्या वाले बाबा का मंदिर है. इस मंदिर में लोगों को लकवा और ब्रेन हेमरेज जैसी बीमारियों के मरीजों को इलाज के लिए लाया जाता है. आप भी जानें मंदिर की कहानी.
दावा: 7 दिन में ठीक हो जाता है लकवा
मंदिर के पुजारी पुजारी सोहन लाल शर्मा ने बताया कि बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति को सीधे पगल्या वाले बाबा के मंदिर प्रांगण में लाया जाता है. यहां मंदिर के बाहर बाबा की ज्योत लगातार जलती रहती है. व्हीलचेयर से आए मरीज को हाथों में उठाकर बाबा की ज्योत के चारों ओर परिक्रमा करवाई जाती है. इसके बाद मंदिर की चौखट पर अरदास की जाती है और मरीज सुबह और शाम की आरती में शामिल होता है. यह क्रम सात दिनों तक चलता है और धीरे-धीरे लकवा ग्रस्त मरीज ठीक होना शुरू हो जाता है.
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कौन हैं पगल्या वाले बाबा?
पगल्या वाले बाबा प्रसिद्ध नरेना दादू पीठ की पारंपरिक सिद्ध गद्दी मानी जाती है. यहां प्रतिदिन सुबह और शाम पगल्या वाले बाबा की आरती होती है. कहा जाता है कि दादू पीठ की भक्ति और सेवा भाव इस मंदिर की खास विशेषता है. यहां दादू पीठ के पदचिन्हों ‘पगल्या’ की पूजा की जाती है.
कहां स्थित है पगल्या वाला बाबा का मंदिर
नागौर-कुचामन-नावां क्षेत्र का प्रसिद्ध पगल्या वाले बाबा का मंदिर नावां शहर के निकट स्थित नमक झील के पास है. मंदिर में एक गौशाला भी संचालित होती है, जहां सैकड़ों गायों का पालन-पोषण किया जाता है. इस मंदिर में दूरदराज से लकवा ग्रस्त लोग मंदिर की परिक्रमा के लिए आते हैं. मान्यता है कि मंदिर में प्रवेश करते ही लकवा ग्रस्त मरीज ठीक हो जाते हैं.
FIRST PUBLISHED : October 4, 2024, 12:08 IST
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