Which is More Severe, Dengue or Typhoid: बदलते मौसम में डेंगू और टाइफाइड के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. बरसात के बाद मच्छरों से फैलने वाली बीमारियां बढ़ जाती हैं, जबकि खान-पान का ध्यान रखने से भी कई तरह के इंफेक्शन हो सकते हैं. कई लोगों को लगता है कि डेंगू और टाइफाइड एक ही तरह की बीमारियां हैं और दोनों में बुखार आने लगता है. हालांकि डेंगू और टाइफाइड दोनों अलग तरह के इंफेक्शन होते हैं, जिनका इलाज भी अलग दवाओं से किया जाता है. आज डॉक्टर से जानेंगे कि डेंगू और टाइफाइड में क्या अंतर है. साथ ही यह भी जानेंगे कि कौन सा इंफेक्शन ज्यादा खतरनाक है.
नई दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल के प्रिवेंटिव हेल्थ एंड वेलनेस डिपार्टमेंट की डायरेक्टर डॉ. सोनिया रावत ने Bharat.one को बताया कि डेंगू एक वायरल इंफेक्शन है, जो मच्छर के काटने से फैलता है. डेंगू में लोगों को तेज बुखार, सिरदर्द, बदन दर्द और त्वचा पर रैशेज जैसे लक्षण नजर आते हैं. डेंगू फीवर में लोगों का प्लेटलेट काउंट तेजी से गिरने लगता है. डेंगू बुखार का इलाज लक्षणों के आधार पर किया जाता है और यह एक खतरनाक इंफेक्शन होता है. अगर सही समय पर डेंगू का इलाज न कराया जाए, तो इससे मौत भी हो सकती है. ब्लड टेस्ट के जरिए डेंगू को डिटेक्ट किया जाता है.
डॉक्टर ने बताया कि टाइफाइड एक बैक्टीरियल इंफेक्शन है, जो साल्मोनेला टाइफी बैक्टीरिया से कंटामिनेटेड खाने-पीने की वजह से लोगों में फैलता है. टाइफाइड होने पर लोगों को तेज बुखार, पेट में दर्द, उल्टी, दस्त जैसे लक्षण नजर आते हैं. टाइफाइड को भी ब्लड टेस्ट के जरिए डिटेक्ट किया जाता है. टाइफाइड लंबे समय तक चल सकता है और इसका ट्रीटमेंट एंटीबायोटिक दवाओं से किया जाता है. जब टाइफाइड के बैक्टीरिया दवाओं से मर जाते हैं, तब मरीज को आराम मिलने लगता है. अगर सही समय पर टाइफाइड का इलाज न कराया जाए, तो यह भी जानलेवा साबित हो सकता है. हालांकि टाइफाइड की वैक्सीन उपलब्ध है और डॉक्टर की सलाह लेकर 2-3 साल में एक बार वैक्सीन जरूर लगवानी चाहिए.
हेल्थ एक्सपर्ट की मानें तो डेंगू और टाइफाइड दोनों ही गंभीर बीमारियां हैं. इनकी वजह और ट्रीटमेंट अलग-अलग होताहै, लेकिन सही समय पर इलाज न मिले, तो दोनों ही बीमारियों की वजह से लोगों की मौत हो सकती है. ध्यान देने वाली बात यह है कि कई बार लोगों को डेंगू और टाइफाइड एक साथ भी हो सकता है. ऐसी कंडीशन में बीमारियों को लेकर कंफ्यूजन हो जाती है. इससे बचने के लिए डॉक्टर से मिलकर जांच करानी चाहिए, ताकि सही ट्रीटमेंट किया जा सके. डेंगू में बेहद तेजी से प्लेटलेट काउंट कम होने लगता है और इंटरनल ब्लीडिंग का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए.
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FIRST PUBLISHED : October 10, 2024, 10:40 IST
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