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Haridwar: इस मंदिर में खुद प्रकट हुई थी माता, चमत्कार देख अंग्रेज भी हो गए थे नतमस्तक, रोचक है कहानी


ओम प्रयास/ हरिद्वार. धर्मानगरी हरिद्वार में देश-विदेश से लोग मोक्ष पाने की लालसा को लेकर आते हैं. हरिद्वार एक तीर्थ स्थल है, जहां पर बहुत से पौराणिक और सिद्ध पीठ हैं. इन सभी स्थानों का जिक्र बहुत से हिंदू धार्मिक ग्रंथो में भी किया गया है. ऐसा ही एक स्थान हर की पौड़ी के पास है, जो काफी प्राचीन और सिद्ध पीठ है. कहा जाता है कि यह स्थान एक पहाड़ की गुफा में है. यह पौराणिक स्थान अपने अस्तित्व में उस समय आया जब भारत पर ब्रिटिश का शासन चलता था.

अंग्रेजों के राज में अस्तित्व में आया था यह प्राचीन मंदिर
सन 1860 से 1870 के आसपास ब्रिटिश शासन में हरिद्वार से देहरादून तक रेलवे लाइन निर्माण का कार्य चल रहा था. अंग्रेजों द्वारा पहाड़ों को तोड़कर रेलवे लाइन मार्ग का कार्य चल रहा था. इस बीच अंग्रेजों द्वारा रेलवे लाइन के लिए हरिद्वार में पहाड़ों को तोड़कर दो टनल गुफाएं भी बनाई गई थी, जो आज भी देहरादून जाते समय देखी जा सकती हैं. कहा जाता है कि जब अंग्रेजों द्वारा रेलवे लाइन के निर्माण का कार्य चल रहा था, तो यहां पर बहुत सी ऐसी घटनाएं घटी, जिससे अंग्रेज परेशान हो गए थे. कभी इसी स्थान पर गाड़ी खराब हो जाती थी, तो कभी पहाड़ से पत्थर टूट कर गिर जाते थे. जिससे रेलवे लाइन निर्माण का कार्य पूरा नहीं हो पा रहा था. रोजाना हो रही इन घटनाओं से अंग्रेज भी परेशान हो चुके थे. कहा जाता है कि उस समय मां काली ने एक अंग्रेज अधिकारी को सपने में दर्शन देकर अपने इस स्थान के बारे में बताया, तो अगले दिन इस स्थान पर थोड़ा खोदा गया. गुफा में मां काली का यह स्थान देखकर सभी अंग्रेज नतमस्तक हो गए थे. अंग्रेजों द्वारा माता के मंदिर तक जाने के लिए रेलवे लाइन के ऊपर से एक रास्ता बनाया गया था जिसके बाद वहां होने वाली सभी घटनाएं रुक गई थी और रेलवे लाइन निर्माण का कार्य शुरू हो गया था.

माता यहां स्वयं हुई थी प्रकट
मंदिर के पुजारी केशव शास्त्री ने Bharat.one को बताया कि मां का यह स्थान काफी प्राचीन और सिद्ध पीठ है. इस स्थान को बनाया नहीं गया है बल्कि मां यहां स्वयं प्रकट हुई हैं. ब्रिटिश शासन में जब रेलवे लाइन के निर्माण का कार्य चल रहा था तब माता ने एक अंग्रेज को सपने में आकर अपने इस स्थान के बारे में बताया था. जब अंग्रेजों द्वारा इस स्थान पर थोड़ा बहुत खोदा गया तो माता यहां पर विराजमान थी. पुजारी केशव शास्त्री बताते हैं की माता का यह स्थान उससे भी कई हजार साल पुराना है. जब अंग्रेजों द्वारा श्रद्धालुओं के मंदिर तक पहुंचाने के लिए रास्ते का निर्माण किया गया तो इस स्थान पर होने वाली सभी घटनाएं बंद हो गई थी.

पुजारी केशव शास्त्री बताते हैं कि जो भी श्रद्धालु सच्चे मन, श्रद्धा भक्ति भाव से माता के स्थान पर आता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है. देवी मां बड़ी दयालु हैं जो अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करके उनके जीवन में सुख समृद्धि लाती हैं. वह बताते है की माता के इस स्थान पर कदम रखते ही नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती हैं और मन को शांति का एहसास होता है. माता का यह स्थान हर की पौड़ी के सामने पहाड़ी पर ‘डाट काली मंदिर’ के नाम से प्रसिद्ध है. इस स्थान पर माता स्वयं वास करके भक्तों की सभी परेशानियों को दूर करती हैं और भक्तों को सुख समृद्धि, खुशहाली का आशीर्वाद प्रदान करती हैं.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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