अयोध्या: हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास की शुरुआत होने वाली है. इस महीने भगवान विष्णु लंबे समय के विश्राम के बाद जागते हैं. इसलिए कार्तिक मास को धार्मिक दृष्टि से अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है. मान्यता है कि इस महीने भगवान विष्णु और भगवान श्रीकृष्ण की उपासना करने से जीवन में चल रही परेशानियों से मुक्ति मिलती है. साथ ही सुख और समृद्धि की प्राप्ति भी होती है. आइए जानते हैं कार्तिक मास कब से शुरू हो रहा है और इस महीने के नियम क्या हैं.
कार्तिक मास कब से शुरू है?
अयोध्या के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित कल्कि राम बताते हैं कि कार्तिक मास की शुरुआत 18 अक्टूबर से हो रही है और इसका समापन 15 नवंबर को होगा. इस महीने प्रतिदिन सुबह उठकर पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए. यह महीना ‘कार्तिक स्नान’ के लिए भी महत्वपूर्ण है. मान्यता है कि इस महीने पवित्र नदी में स्नान करने से अपार पुण्य की प्राप्ति होती है. इसके साथ ही भजन-कीर्तन, दीपदान और तुलसी के पौधे की पूजा करना भी शुभ माना जाता है.
करें भगवान विष्णु की उपासना
कार्तिक के महीने में श्री हरि जल में वास करते हैं. यह महीना भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यधिक शुभ माना जाता है. इस दौरान प्रतिदिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए. साथ ही तुलसी के पौधे की उपासना करना भी जरूरी है. सुबह और शाम तुलसी के पौधे के पास देसी घी का दीपक जलाने से विशेष फल की प्राप्ति होती है. इसके अलावा, अपनी श्रद्धानुसार गरीबों को गर्म कपड़े, भोजन, या धन का दान करना भी पुण्यकारी माना जाता है.
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कार्तिक मास का व्रत और नियम
इस महीने तामसिक भोजन से परहेज करना चाहिए. किसी भी प्रकार की अपशब्द या गलत व्यवहार से बचना चाहिए. तन और मन की स्वच्छता बनाए रखना आवश्यक है. इसके साथ ही किसी भी प्रकार के पशु-पक्षी को नुकसान पहुंचाने से भी बचना चाहिए. इस माह में संयम और साधना का विशेष महत्व है, जो जीवन को पवित्रता और शांति प्रदान करती है.
FIRST PUBLISHED : October 14, 2024, 13:54 IST
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