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दिवाली के दिन जलाएं तांबे का दीपक, घर लौटेगी खुशहाली, बागेश्वर के बाजारों में बढ़ी डिमांड


बागेश्वर: उत्तराखंड के बागेश्वर की सरस मार्केट में इस बार दीपावली के अवसर पर तांबे के दीयों की खास धूम है. यह न सिर्फ पर्व की रौनक बढ़ा रहे हैं, बल्कि यहां की पारंपरिक संस्कृति और महिलाओं की कला का भी प्रतीक बन गए हैं. पहाड़ी क्षेत्रों में दीपावली का खास महत्व है, और मां लक्ष्मी की पूजा के दौरान तांबे के दीयों का उपयोग शुभ और परंपरा से जुड़ा माना जाता है. इस परंपरा को संजोते हुए बागेश्वर की महिलाओं ने तांबे के दीये बनाने का काम अपने हाथों में लिया है और इससे अच्छी आय भी कमा रही हैं.

तांबे के दीयों का महत्व
पारंपरिक दृष्टि से तांबा एक ऐसा धातु है जिसे शुभता और समृद्धि का प्रतीक माना गया है. दीपावली पर मां लक्ष्मी की पूजा में इसे उपयोग में लाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है. बागेश्वर और आस-पास के क्षेत्रों में दीपावली पर तांबे के दीये जलाने की पुरानी परंपरा है, जो स्थानीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. यह न केवल घरों में रौशनी बिखेरता है, बल्कि इसे जलाना सुख-समृद्धि का आह्वान करने के समान माना जाता है.

हाथ से बनाएं तांबे के दीये
सरस मार्केट की महिलाओं ने अपनी कला और कारीगरी से तांबे के दीये बनाने में महारत हासिल की है. गुड्डी टम्टा जैसी महिला उद्यमी इसे न केवल पारंपरिक रूप से बनाती हैं, बल्कि नए डिज़ाइन और आकार का भी उपयोग कर रही हैं. महिलाओं का यह कार्य उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बना रहा है. साथ ही यह परंपरा और संस्कृति के संरक्षण का भी तरीका है. इस काम के माध्यम से वे अपने परिवार का आर्थिक समर्थन कर रही हैं, साथ ही पारंपरिक कला को जीवित रखने का भी योगदान दे रही हैं.

विभिन्न आकार और किफायती दाम
बागेश्वर की सरस मार्केट में तांबे के दीये तीन प्रकार के आकार में उपलब्ध हैं. सबसे छोटे दीये की कीमत 75 रुपये है, मीडियम साइज 150 रुपये में और बड़े दीये 250 रुपये में मिलते हैं. इनकी सुंदरता और दीयों की चमक ने बाजार में ग्राहकों का ध्यान आकर्षित किया है. ग्राहकों को यह दीये बहुत पसंद आ रहे हैं और वे इन्हें पूजा के साथ-साथ घर की सजावट के लिए भी खरीद रहे हैं. यह दीये न केवल घरों में प्रकाश फैलाते हैं, बल्कि उन्हें परंपरा से भी जोड़ते हैं.

तांबे के दीयों की लोकप्रियता
तांबे के दीयों की बढ़ती लोकप्रियता से यह स्पष्ट है कि लोग आधुनिकता के साथ अपनी संस्कृति और परंपरा से जुड़ाव को महत्व देते हैं. ग्राहकों का मानना है कि तांबे के दीये जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है, जो पूरे वर्ष के लिए शुभ और समृद्धि लेकर आता है. इस बार की दिवाली में तांबे के दीये न केवल बागेश्वर के बाजार की शोभा बढ़ा रहे हैं, बल्कि यहां की महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण का भी माध्यम बन रहे हैं.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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