Sunday, September 28, 2025
26 C
Surat

गोड्डा के इस कालीमंदिर में गांव छोटे बच्चों द्वारा खुद से बनाई जाती है माता की प्रतीमा, 


आदित्य आनंद,गोड्डा: गोड्डा के बसंतराय प्रखंड में स्थित 200 वर्ष पुराना लक्ष्मीपुर काली मंदिर अपनी अनोखी पूजा परंपरा के लिए जिले भर में प्रसिद्ध है. यहां की काली पूजा में हर साल तीन दिवसीय भव्य मेला आयोजित किया जाता है, जो न केवल धार्मिक उत्सव है, बल्कि स्थानीय संस्कृति और परंपराओं का भी प्रतीक है. इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां की माता काली की मूर्ति को गांव के छोटे बच्चे खुद बनाते हैं, जो इस प्रक्रिया को एक अनूठा रूप देता है.

बच्चों की कला में है अद्भुत निखार
लक्ष्मीपुर गांव के काली मंदिर में मां काली की मूर्ति को बनाने का कार्य छोटे बच्चों द्वारा किया जाता है. गांव के लोग मानते हैं कि बच्चों द्वारा बनाई गई मूर्ति में भाव और निखार ऐसा होता है, जैसे कि वह किसी बड़े कलाकार द्वारा बनाई गई हो. इस अद्भुत कला को देखकर श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो जाते हैं. मूर्ति का निर्माण पूरी श्रद्धा और प्रेम से किया जाता है और इसके बाद इसे विधिपूर्वक पूजा के लिए तैयार किया जाता है, मानो यह एक नई दुल्हन हो.

धार्मिक मान्यता और परंपराएं
लक्ष्मीपुर काली मंदिर, बिहार सीमा के निकट स्थित होने के कारण बिहार के बांका और भागलपुर में भी प्रसिद्ध है. यहां तांत्रिक विधि विधान से पूजा-अर्चना होती है और यह स्थान विशेष रूप से पुत्र रत्न की प्राप्ति के लिए भी प्रसिद्ध है. तीन दिनों तक चलने वाले मेले में, दिवाली के दूसरे दिन छाग बली की परंपरा होती है, जिसमें हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं.

मंदिर की स्थापना के संबंध में गांव के अमित राय बताते हैं कि उनके दादा ने इस मंदिर की नींव तीन पीढ़ी पहले रखी थी. तब से यह स्थान आस-पास के लगभग 50 किलोमीटर के क्षेत्र के लोगों के लिए एक श्रद्धा का केंद्र बन गया है. काली पूजा के दिन, यहां पूजा करने के लिए बड़ी संख्या में लोग एकत्र होते हैं.

मेले की धूमधाम
काली पूजा के दिन पूजा आरंभ होने के साथ ही तीन दिनों तक मेला लगा रहता है. पहले दो दिनों में बालिका कार्यक्रम का आयोजन होता है, जिसमें गांव की लड़कियां अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करती हैं. इसके बाद तांत्रिक विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है और अंत में तीसरे दिन विसर्जन का कार्यक्रम होता है. इस दौरान श्रद्धालुओं की भीड़ इस मेले में उमड़ती है, जो इस स्थान की भव्यता और श्रद्धा को दर्शाती है.

मनोकामना पूरी होने पर बलि का त्यौहार
लोगों का कहना है कि जब उनकी मनोकामना पूरी होती है, तो वे यहां आकर पाठा की बलि देते हैं. यह परंपरा इस मंदिर को और भी खास बनाती है, जहां लोग अपनी श्रद्धा के साथ आकर मां काली से आशीर्वाद मांगते हैं.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

Hot this week

Topics

aaj ka Vrishchik rashifal 29 September 2025 Scorpio horoscope in hindi

Last Updated:September 29, 2025, 00:07 ISTAaj ka Vrishchik...

Chhola Bhuja by Shambhu Sahni street food recipe samastipur

Last Updated:September 28, 2025, 23:47 ISTSamastipur Famous Chhola...

Vastu rules for Grih Pravesh in Navratri

Last Updated:September 28, 2025, 16:13 ISTNavratri Griha Pravesh...
spot_img

Related Articles

Popular Categories

spot_imgspot_img