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पेट के कीड़ों का काल है ये राख, सिर्फ एक चुटकी से बच्चा हो जाएगा स्वस्थ्य


बागेश्वर: उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में पारंपरिक घरेलू उपायों का महत्व आज भी बना हुआ है, जो पीढ़ियों से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के समाधान के रूप में अपनाए जाते रहे हैं. विशेषकर बच्चों के पेट के कीड़ों को खत्म करने के लिए धुनी की राख खिलाने का अनोखा नुस्खा प्रचलित है, जो स्थानीय बुजुर्गों के बीच काफी लोकप्रिय है. इस उपाय में बच्चे को एक चुटकी राख दी जाती है, जो पेट के कीड़ों को मारने और भविष्य में पेट से जुड़ी बीमारियों को रोकने में कारगर मानी जाती है.

धुनी की राख को पहाड़ी क्षेत्र में स्वास्थ्य संबंधी विभिन्न समस्याओं के निवारण के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है. वृक्ष प्रेमी किशन मलड़ा के अनुसार, धुनी की राख में कुछ ऐसे प्राकृतिक गुण होते हैं जो पेट के कीड़ों के लिए विषाक्त हो सकते हैं. घर के आंगन में बनी धुनी की राख का इस्तेमाल खासतौर पर बच्चों के लिए किया जाता है, क्योंकि इसे बिना किसी रासायनिक तत्वों के प्राकृतिक माना जाता है.

धुनी की राख का उपयोग कैसे करें?
बच्चों को दी जाने वाली राख की मात्रा बेहद महत्वपूर्ण है. आमतौर पर एक चुटकी राख ही पर्याप्त मानी जाती है. लेकिन, धुनी की उस राख का ही इस्तेमाल करें, जो पूरी तरह से प्राकृतिक और साफ हो. हालांकि यह एक पारंपरिक नुस्खा है, विशेषज्ञों की सलाह यह है कि किसी भी पारंपरिक उपाय को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए, ताकि बच्चे की सेहत पर कोई नकारात्मक प्रभाव न पड़े.

स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव
स्थानीय लोगों का मानना है कि धुनी की राख से न केवल बच्चों को पेट के कीड़ों से राहत मिलती है, बल्कि यह उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है. कई माता-पिता यह मानते हैं कि इससे बच्चों की पेट की समस्याएं कम होती हैं और वे अधिक स्वस्थ रहते हैं.

सावधानियां और चिकित्सा सलाह की आवश्यकता
हालांकि, यह उपाय लंबे समय से कारगर माना जाता रहा है, फिर भी माता-पिता को यह समझने की जरूरत है कि प्रत्येक बच्चे का स्वास्थ्य अलग होता है. किसी भी प्रकार की गंभीर समस्या होने पर घरेलू नुस्खों पर निर्भर न रहें और तुरंत चिकित्सकीय सहायता लें.

स्थानीय संस्कृति का एक हिस्सा
उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में बच्चों की सेहत के लिए अपनाए जाने वाले पारंपरिक नुस्खे केवल घरेलू उपाय ही नहीं, बल्कि यहां की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर का भी हिस्सा हैं. यह परंपराएं एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में हस्तांतरित होती रही हैं, जो समाज के साथ जुड़ी रहने की गवाही देती हैं. उचित सावधानी और चिकित्सा परामर्श के साथ यह नुस्खे बच्चों की बेहतर सेहत के लिए लाभकारी हो सकते हैं.

Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Bharat.one किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.


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