स्वयम्भू रूप से प्रकट हुए कुर्मगिरी श्री सुंदर लक्ष्मी नरसिंह स्वामी देवालय का निर्माण 12वीं सदी में हुआ था. इस देवालय की विशेषता यह है कि गर्भगृह के सामने गरुड़जी प्रकट हुए हैं. ये भारत में केवल दो स्थानों पर पाए जाते हैं—एक तमिलनाडु में और दूसरा नलगोंडा जिले के नकीरेकल मंडल के पल्ली गांव में स्थित है. यहाँ पूर्णिमा के दिन कंकण बांधने पर तीन महीनों के भीतर उनकी इच्छा पूरी हो जाती है, यह जानकारी पुरोहित श्रीनिवास ने ‘लोकल18’ के माध्यम से दी है.
पुरोहित का विवरण और स्वप्न की कहानी
कुर्मगिरी श्री सुंदर लक्ष्मी नरसिंह स्वामी देवालय के प्रमुख अर्चक श्रीनिवास के अनुसार, यह देवालय 12वीं सदी में बना था. 400 वर्ष पूर्व गुनमा राजा गुनमा कृष्णैया को स्वप्न में एक वृद्ध व्यक्ति के रूप में दर्शन हुआ, जिसने कहा, “जिस स्थान पर वर्तमान में देवालय है, वहाँ पहले एक मर्रिचेड़ था. वहाँ आओ.” जब वहाँ कोई नहीं मिला तो वृद्ध ने कहा, “क्या तुम जा रहे हो?” पुनः देखने पर 64 फुट की गहरी खाई बनी हुई थी, जिसमें सफेद बादल की तरह व्याप्त था.
सुगंध का अनुभव
उन्होंने बताया कि इसके साथ ही सुगंधित औषधियों की खुशबू चारों ओर फैल गई थी. सुबह होते ही जब गांववाले उन्हें जगाते हैं, तो वे कहते हैं, “आज भगवान जिस प्रकार हैं, वैसे ही अभी भी हैं. इस देवता के सामने गरुड़जी स्वयम प्रकट हुए हैं.” इस स्वामी को कंकणों का स्वामी भी कहा जाता है. पूर्णिमा के दिन विजय कंकण, स्वास्थ्य कंकण, संतान कंकण जैसे कई प्रकार के कंकण हैं. किसी भी कंकण को बांधने पर तीन महीनों में उनकी इच्छा पूरी होने की भक्ति का अनुभव भक्तों ने स्वयं आकर बताया है.
भक्तों के अनुभव
कुछ भक्त पोस्ट के माध्यम से और कुछ फोन करके अपनी इच्छाएँ पूरी होने की जानकारी दे रहे हैं. कंकण बांधने के दिन उपवास करने से उन्हें लाभ होता है. सूर्यापेट जिले के भक्त शिव ने भी कहा, “मैं पिछले चार वर्षों से देवस्थान में आ रहा हूँ. यहाँ आने पर हर बार विजय कंकण बांधता हूँ. हर बार मुझे लाभ होता है,” यह जानकारी ‘Bharat.one’ के माध्यम से दी.
FIRST PUBLISHED : November 2, 2024, 13:12 IST