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कुल्लू के रघुनाथ मंदिर में दीवाली की पूजा में जलाए जाते हैं पराल घास, विशेष है कोह पूजा की परंपरा


कुल्लू के ऐतिहासिक रघुनाथ मंदिर में इस वर्ष दिवाली का त्यौहार विशेष धूमधाम के साथ मनाया गया. इस अवसर पर भगवान रघुनाथ की विशेष पूजा अर्चना की गई, जिसमें भक्तों ने उनके आशीर्वाद के लिए प्रार्थना की. दिवाली की सुबह से ही मंदिर परिसर में भक्तों की भीड़ लगी रही, जहां हर कोई भगवान रघुनाथ के प्रति श्रद्धा और भक्ति के साथ उपस्थित था.

विशेष पूजा अर्चना
मंदिर में भगवान रघुनाथ को वेद में विराजमान किया गया था, और इस खास मौके पर छड़ी बरदार मद्देश्वर सिंह ने पूजा की विधि को संपन्न कराया. भगवान की आरती की गई और उन्हें फल एवं मिठाई का भोग अर्पित किया गया. इस दौरान पूरे मंदिर परिसर में भक्तों की भक्ति और श्रद्धा का माहौल बना रहा.

कोह पूजा: एक अद्वितीय परंपरा
रघुनाथ मंदिर में दिवाली पर एक खास प्रथा का पालन किया जाता है, जिसे कोह पूजा कहा जाता है. इस परंपरा के अनुसार, पराल घास से विशेष बंडल बनाया जाता है, जिसे स्थानीय भाषा में कौह कहा जाता है. इस बंडल को मंदिर के पुजारियों और भगवान रघुनाथ के छड़ीबरदार द्वारा जलाया जाता है. दानवेंद्र सिंह, जो भगवान रघुनाथ के कारदार हैं, ने बताया कि दिवाली के अवसर पर यह विशेष पूजा विधि अति महत्वपूर्ण है.

कोह पूजा की विधि
कोह पूजा की प्रक्रिया में पराली घास की एक गांठ बनाई जाती है, जिसे रस्सी से बांधा जाता है. इस गांठ को भगवान रघुनाथ के छड़ीबरदार और पुजारियों द्वारा उठाकर जलाया जाता है. फिर इसे भक्तों के ऊपर घुमाया जाता है. इस प्रकार का पूजन न केवल दिवाली के महत्व को दर्शाता है, बल्कि यह मां लक्ष्मी के आठ रूपों की आराधना का भी प्रतीक है.

महा लक्ष्मी की पूजा
दानवेंद्र सिंह ने बताया कि दिवाली के दिन मंदिर में दीप माला जलाने की परंपरा भी है. इस दिन महालक्ष्मी के आठ रूपों की भी पूजा की जाती है, जिसमें घास से बने इस बंडल को दीपमाला की तरह पूजा जाता है. इस प्रकार, कोह पूजा का आयोजन न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यह कुल्लू की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का भी प्रतीक है.

दिवाली का महत्व
दिवाली का त्यौहार सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि यह खुशी और समृद्धि का प्रतीक है. रघुनाथ मंदिर में मनाए गए इस पर्व ने एक बार फिर से धार्मिक आस्था और परंपरा को जीवित रखा है. भक्तों ने इस मौके पर अपने परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर भगवान रघुनाथ की कृपा प्राप्त की, जिससे उन्हें सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति हो.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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