Chhath Puja 2024 : कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या पर दीपावली का पर्व धूमधाम से देशभर में मनाया गया. इसके बाद मनाया जाएगा छठ महापर्व. ये पर्व खासकर बिहार वासियों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है. छठ पूजा में आपने महिलाओं को नाक तक सिंदूर लगाते देखा होगा और मान्यता के तहत सिंदूर का नाक पर गिरना शुभ माना जाता है. लेकिन, फिर भी आपके मन में विचार भी आता होगा कि आखिर छठ पूजा पर महिलाएं ऐसा क्यों करती हैं? आइए जानते हैं इसका महत्व भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं वास्तु सलाहकार पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा से.
क्यों मनाया जाता है छठ पर्व?
छठ पर्व पर सूर्य देव की पूजा की जाती है और उन्हें अर्घ्य दिया जाता है. इस पर्व के दौरान महिलाएं पानी में उतरकर पूजा करती हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार, जब भगवान राम और माता सीता वनवास के बाद अयोध्या वापस लौटे थे तो उस समय लोगों ने व्रत रखा था और इसके बाद से छठ पर्व मनाने की परंपरा शुरू हुई.
नाक से लेकर सिर तक सिंदूर का महत्व
छठ पर्व पर महिलाएं सिंदूर अपने सिर से लेकर नाक तक लगाती हैं और इस सिंदूर की तुलना सूरज की लालिमा से से की जाती है. इस प्रकार से सिंदूर लगाने के पीछे मान्यता है कि सिंदूर की लंबी लाइन की तरह पति की उम्र भी लंबी होगी. ऐसा करने से छठ माता की कृपा प्राप्ति होती है और वे सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं.
नारंगी सिंदूर ही क्यों लगाया जाता है?
मांग में आपने सामान्य तौर पर लाल रंग का सिंदूर भरे हुए महिलाएं देखी होंगी, लेकिन छठ पर्व पर बिहार और झारखंड की महिलाएं नारंगी रंग का सिंदूर सिर से नाक तक लगाती हैं. इसका कारण इस रंग की शुभता है. आपको बता दें कि सिंदूर हनुमान जी को चढ़ाया जाता है. भगवान हनुमान ब्रह्मचारी थे और विवाह के बाद दुल्हन का ब्रह्मचर्य व्रत समाप्त होकर ग्रहस्थ जीवन की शुरूआत होती है. ये प्रथा बिहार और झारखंड की ही नहीं बल्कि कई जगहों पर ऐसा होता है.
FIRST PUBLISHED : November 2, 2024, 10:13 IST
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