गाजीपुर: बाजार में बदलाव की बयार ने चूड़ा, तिलवा और गुड़ जैसे पारंपरिक खाद्य पदार्थों की मांग को प्रभावित किया है. व्यापारियों का कहना है कि पहले जहां लोग मकर संक्रांति के एक महीने पहले ही इन वस्तुओं की खरीदारी कर लेते थे, अब फास्ट फूड और चीनी युक्त खाद्य पदार्थों की बढ़ती लोकप्रियता ने उनकी आजीविका पर गहरी चोट दी है. गाजीपुर के व्यापारी जो पिछले 25 सालों से इस व्यवसाय में हैं. उन्होंने बताया कि हर साल 5-10 रुपए की मामूली मूल्यवृद्धि के बावजूद लोगों की दिलचस्पी कम होती जा रही है.
पारंपरिक मिठास से दूर होता समाज
पहले त्योहारों के नाम पर लोग बड़े पैमाने पर खरीदारी करते थे, लेकिन अब त्योहार सिर्फ 100-200 ग्राम की औपचारिकता तक सिमट गए हैं. चाइनीज आधारित खाद्य पदार्थों की लोकप्रियता ने गुड़, तिलवा और चूड़ा जैसे पौष्टिक खाद्य पदार्थों को पीछे छोड़ दिया है.
गाजीपुर के अन्न व्यापारियों का कहना है कि बुजुर्ग लोग आज भी इन पारंपरिक खाद्य पदार्थों का महत्व समझते हैं. वे बताते हैं कि कैसे गोवर्धन पूजा के पहले महिलाएं इन्हें तैयार करके गीत गाती थीं, लेकिन अब वह परंपरा धीरे-धीरे खत्म हो रही है.
सेहत के फायदे, भूल रहे लोग
चंद्रशेखर सिंह (85 साल उम्र) ने लोकल18 से बताया कि गुड़ और अन्य पारंपरिक खाद्य पदार्थ न सिर्फ स्वाद में अच्छे होते हैं, बल्कि इनसे सेहत को भी लाभ होता है. गुड़ पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है, कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है और शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है.
वहीं, तिल और कुटकी जैसे अनाज कैल्शियम और फाइबर से भरपूर होते हैं, जो हड्डियों को मजबूत बनाते हैं. बुजुर्गों का मानना है कि लोग चाइनीज और फास्ट फूड के प्रभाव में अपने स्वास्थ्य के इस सरल उपाय को नजरअंदाज कर रहे हैं.
FIRST PUBLISHED : November 3, 2024, 08:36 IST
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