मोक्षदा एकादशी का व्रत 11 दिसंबर बुधवार को रखा जाएगा. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, मोक्षदा एकादशी व्रत मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी तिथि या अगहन शुक्ल एकादशी तिथि को रखा जाता है. इस दिन व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करते हैं. रात्रि जागरण करके अगले दिन विधि विधान से पूजा, दान के बाद पारण करके व्रत को पूरा करते हैं. इस व्रत के पुण्य को पितरों का दान करने से उनको मोक्ष की प्राप्ति होती है. व्रत करने वाले को जीवन के अंत में स्वर्ग में स्थान मिलता है. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट से जानते हैं मोक्षदा एकादशी व्रत कथा, पूजा मुहूर्त और पारण समय के बारे में.
मोक्षदा एकादशी व्रत कथा
धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी के महत्व के बारे में बताने का निवेदन किया. भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी व्रत सभी पापों का नाश करने वाला है. यह मोक्ष प्रदान करने वाला व्रत है, इसलिए इसे मोक्षदा एकादशी के नाम से जानते हैं. उस दिन व्रत रखकर भगवान दामोदर की पूजा करते हैं. आइए जानते हैं मोक्षदा एकादशी व्रत कथा के बारे में.
कथा के अनुसार, वैखानस राजा गोकुल नगर में शासन करता था. उसने एक रात सपने में देखा कि उसके पिता नरक में हैं और अपार कष्ट भोग रहे हैं. सुबह जब उसकी नींद खुली तो वह काफी चिंतित हो गया. उसने अपने दरबार में सभी मंत्रियों और विद्वानों को बुलाया और अपने सपने के बारे में बताया. वैखानस ने उनको बताया कि उसके पिता ने कहा है कि वे नरक में हैं और कई प्रकार के कष्ट भोग रहे हैं. नरक के इन कष्टों से मुक्ति दिलाओ.
राजा वैखानस ने सभी विद्वानों और मंत्रियों से इस समस्या का उपाय बताने को कहा, ताकि उसके पिता नरक और वहां के कष्टों से मुक्त हो जाएं. राजा ने कहा कि यदि वह अपने पिता को ऐसी स्थिति से बाहर न निकाल पाए तो ऐसे जीवन का क्या अर्थ है? एक उत्तम पुत्र ही अपने पूर्वजों का कल्याण करता है.
सभी लोगों ने राजा वैखानस को बताया कि यहां से कुछ दूरी पर पर्वत ऋषि का आश्रम है, उनके पास आपकी समस्या का हल जरूर होगा. राजा वैखानस पर्वत ऋषि के पास गए. उन्होंने प्रणाम करके अपने आने का कारण बताया. उस ऋषि ने अपने तपोबल से वैखानस के पिता का पूरा जीवन देखा. फिर उन्होंने कहा कि वे राजा के पिता के पाप को समझ गए हैं. पूर्वजन्म में तुम्हारे पिता ने काम वासना की वजह से एक पत्नी को रति दी, लेकिन सौतन के कहने पर दूसरी पत्नी को ऋतुदान नहीं किया. उस पाप की वजह से ही वे नरक में कष्ट भोग रहे हैं. तब राजा वैखानस ने उनसे मुक्ति का उपाय पूछा.
इस पर पर्वत ऋषि ने उनको एक उपाय बताया. उन्होंने कहा कि मोक्षदा एकादशी का व्रत आ रहा है. तुम विधिपूर्वक मोक्षदा एकादशी का व्रत करो. फिर व्रत के पुण्य फल को अपने पिता के नाम से संकल्प करके दान कर दो. ऐसा करने से तुम्हारे पिता नरक और वहां के कष्टों से मुक्ति पा जाएंगे. बताए गए उपाय के अनुसार, राजा ने विधि विधान से मोक्षदा एकादशी का व्रत रखा और भगवान विष्णु का पूजन किया. उसके बाद व्रत के पुण्य को अपने पिता के नाम संकल्प कराकर दान कर दिया. इससे उसके पिता को नरक से मुक्ति मिल गई और वे स्वर्ग चले गए. जो व्यक्ति मोक्षदा एकादशी व्रत रखता है, उसे मोक्ष मिल जाता है.
मोक्षदा एकादशी 2024 मुहूर्त और पारण समय
मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी तिथि का प्रारंभ: 11 दिसंबर, तड़के 3:42 बजे से
मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी तिथि का समापन: 12 दिसंबर, 1:09 एएम पर
ब्रह्म मुहूर्त: प्रात: 05:15 बजे से 06:09 बजे तक
रवि योग: सुबह 07:04 बजे से दिन में 11:48 बजे तक
पारण समय: 12 दिसंबर, सुबह 7:05 बजे से सुबह 9:09 बजे तक
FIRST PUBLISHED : December 10, 2024, 12:41 IST
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