गया. मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को भगवान श्रीकृष्ण ने कुरुक्षेत्र के मैदान में अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था. इसलिए प्रतिवर्ष इस तिथि को गीता जयंती का पर्व मनाया जाता है. इस साल मार्गशीर्ष एकादशी 11 दिसंबर यानी बुधवार को है. मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी को मोक्षदा एकादशी भी कहा जाता है. इसे मोक्ष प्राप्ति का दिन कहा जाता है. इस दिन पूजा उपासना से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है और दान का कई गुना फल मिलता है.
इस संबंध में गया विष्णुपद वैदिक मंत्रालय पाठशाला के पंडित राजा आचार्य ने जानकारी देते हुए बताया कि मोक्षदा एकादशी के दिन सबसे पहले सुबह ही स्नान करके सूर्य देवता को अर्घ्य दें. इसके बाद पीले कपड़े पहनकर भगवान कृष्ण की पूजा करें. श्री कृष्ण को पीले फूल, पंचामृत और तुलसी दल अर्पित करें. इसके बाद भगवान कृष्ण के मंत्रों का जाप करें या फिर गीता का पाठ करें.
घर के झगड़े होंगे खत्म
मोक्षदा एकादशी की शाम कथा सुनें और शाम के समय भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को प्रसाद का भोग लगाकर उनकी आरती करें. इस दिन किसी गरीब को कपड़े या अन्न का दान करें. मोक्षदा एकादशी पर निर्जला उपवास रखना सर्वोत्तम होता है. एकादशी को दिया जलाके विष्णु सहस्त्रनाम पढ़ें. विष्णु सहस्त्र नाम नहीं हो तो 10 माला गुरु मंत्र का जाप कर लें. अगर घर में झगड़े होते हों, तो झगड़े शांत हो जाए ऐसा संकल्प करके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें तो घर के झगड़े भी शांत होंगे.
स्नान करने से पापा होंगे कम
राम रामेति रामेति । रमे रामे मनोरमे ।। सहस्त्र नाम त तुल्यं । राम नाम वरानने ।। आज एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से विष्णु सहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है. एकादशी के दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए. एकादशी को चावल व साबूदाना खाना वर्जित है. एकादशी को शिम्बी (सेम) ना खाएं अन्यथा पुत्र का नाश होता है. जो दोनों पक्षों की एकादशियों को आंवले के रस का प्रयोग कर स्नान करते हैं, उनके पाप नष्ट हो जाते हैं.
FIRST PUBLISHED : December 11, 2024, 13:22 IST