सुंदरकांड का पाठ रात के समय नहीं करना चाहिए. रात में किया जाने वाला कोई भी पूजा-पाठ या अनुष्ठान तांत्रिक श्रेणी में चला जाता है.
Rules Of Sundarkand Path : सनातन परंपरा में मान्यता है कि धर्म ग्रंथों, पुराणों, चलिसाओं, कवचों, और स्तोत्रों का पाठ शुभ समय और तिथि पर करना चाहिए, ताकि उनका लाभ मिल सके. इसी कड़ी में सुंदरकांड का पाठ भी विशेष महत्व रखता है. भोपाल निवासी ज्योतिषाचार्य पंडित योगेश चौरे के अनुसार सुंदरकांड का पाठ कुछ विशेष समय और तिथियों पर नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे अशुभ परिणाम हो सकते हैं. रविवार, मंगलवार, और शनिवार जैसे दिन, जब विशेष रूप से शुद्ध वातावरण होता है तब सुंदरकांड का पाठ करना अधिक फलदायक होता है. ध्यान रखें कि उचित समय पर पाठ से ही उसके पूर्ण लाभ मिलते हैं.
कब नहीं करना चाहिए सुन्दरकाण्ड का पाठ
हिन्दू धर्म-ग्रंथों के अनुसार, सुंदरकांड का पाठ रात के समय नहीं करना चाहिए. ज्योतिष के अनुसार रात में किया जाने वाला कोई भी पूजा-पाठ या अनुष्ठान तांत्रिक श्रेणी में चला जाता है. हिन्दू मान्यताओं और ज्योतिष के अनुसार रात के समय आप उन तिथियों पर पूजा पाठ कर सकते है जिन तिथियों की हिन्दू धर्म शास्त्रों में मान्यता है.
उदाहरण के लिए दीपावली, दशहरा करवा चौथ ऐसे पर्व या व्रत हैं जिनमें पूजा संध्या काल के बाद ही होती है और इस पूजा से किसी प्रकार की अशुभता भी नहीं आती. इसके अलावा किसी व्यक्ति की तेरहवीं पर भी सुंदरकांड का पाठ नहीं किया जाना चाहिए. यदि तिथि को देखें तो सुन्दरकाण्ड का पाठ अमावस्या तिथि पर नहीं करना चाहिए माना जाता है कि यह तिथि खाली होती है और इस दिन हनुमान जी विश्राम करतें हैं. इसको लेकर पौराणिक ग्रंथों में एक कहानी भी बताई जाती है.
पौराणिक कथा के अनुसार, हनुमान जी का राहु के साथ एक भयंकर युद्ध हुआ था, जिसमें राहु हनुमान जी से बचने के लिए छुप गया था. हनुमान जी उसे ढूंढते रहे, लेकिन जब वे थक गए, तब उन्होंने एक दिन आराम किया, और यह दिन अमावस्या था. इसी कारण से हनुमान जी की पूजा या उनके स्तोत्र-कवच का पाठ अमावस्या पर नहीं किया जाता है. वहीं, तेरहवीं के दिन सुंदरकांड का पाठ करने से कोई लाभ नहीं मिलता है, और इसका कोई शुभ प्रभाव नहीं होता. तेरहवीं के बाद, जब घर में नकारात्मक ऊर्जाओं का प्रभाव कम हो जाए, तब सुंदरकांड का पाठ करना शुभ होता है.
FIRST PUBLISHED : December 11, 2024, 17:09 IST
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