उदयपुर:- उदयपुर के शिल्पग्राम महोत्सव में इन दिनों हरियाणा की विशेष जलेबी या कहें ‘जलेबा’ लोगों के बीच आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. यह जलेबी न केवल अपने अनोखे स्वाद के लिए मशहूर है, बल्कि इसका वजन और बनाने की विधि भी इसे खास बनाती है. हरियाणा के गुलाना जिले से आए नरेश कुमार, जिन्हें सभी ताऊ कहकर पुकारते हैं, बीते 15 सालों से इस महोत्सव में अपनी खास जलेबी लेकर आ रहे हैं.
250 ग्राम की ‘जलेबा’ बनी सबकी पसंद
ताऊ नरेश कुमार की यह जलेबी 250 ग्राम वजन में होती है और सालभर में सिर्फ एक बार शिल्पग्राम उत्सव के दौरान ही उपलब्ध होती है. शहर के निवासी और पर्यटक इसे चखने के लिए खास उत्सुक रहते हैं. नरेश कुमार ने Bharat.one को बताया कि हमारी जलेबी में मैदे के साथ बेसन, सूजी और देसी घी का मिश्रण होता है. यह हमारी पुश्तैनी रेसिपी है और इसमें स्वाद के साथ सेहत का भी ख्याल रखा जाता है.
शहरवासियों और पर्यटकों के लिए खास अनुभव
इस जलेबी को एक बार में खाने वाले बताते हैं कि इसकी मात्र एक पीस से ही पेट भर जाता है. हर साल मेले में आने वाले लोग इसे ढूंढते हुए ताऊ की दुकान तक पहुंचते हैं. नरेश कुमार बड़े प्रेम और सत्कार के साथ लोगों को इस जलेबी का स्वाद चखाते हैं. शिल्पग्राम उत्सव के अलावा, ताऊ नरेश कुमार चंडीगढ़, सूरजकुंड, कुरुक्षेत्र, जोधपुर, जयपुर और गोवा जैसे स्थानों पर होने वाले बड़े आयोजनों में भी भाग लेते हैं. उन्होंने बताया कि उनकी जलेबी पहले 80 रुपये में मिलती थी. लेकिन बढ़ती लागत के कारण अब इसकी कीमत 100 रुपए हो गई है.
पारिवारिक विरासत और बढ़ता व्यवसाय
नरेश कुमार ने अपने पिता की इस पारंपरिक विरासत को संभालते हुए इसे नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है. अब उनके बेटे भी इस व्यवसाय में उनकी मदद करते हैं. वे कहते हैं कि हमारे लिए यह सिर्फ व्यवसाय नहीं, बल्कि हमारी पहचान और संस्कृति का हिस्सा है. शिल्पग्राम महोत्सव हमें हर साल अपने इस खास स्वाद के जरिए लोगों से जुड़ने का मौका देता है. उदयपुर के शिल्पग्राम महोत्सव में ताऊ की जलेबी का स्वाद चखे बिना लोगों का अनुभव अधूरा सा लगता है. यह अनोखी जलेबी महोत्सव का अभिन्न हिस्सा बन चुकी है और हर साल यहां आने वाले लोगों के लिए एक खास आकर्षण का केंद्र रहती है.
FIRST PUBLISHED : December 30, 2024, 16:51 IST
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
.
https://hindi.news18.com/news/lifestyle/recipe-haryana-giant-jaleba-steals-spotlight-udaipurs-shilpgram-festival-got-only-one-year-a-day-local18-8929215.html