Radha Raman Mandir: वृंदावन का कण-कण कृष्ण और राधा की भक्ति से सराबोर है. यहां कृष्ण और राधा की भक्ति के आपको हजारों किस्से और कहानी सुनने को मिल जाएंगी. वृंदावन में एक ऐसा मंदिर भी है जहां आज भी भगवान श्री कृष्ण की और राधा की याद सजोकर अपने अंदर रखे हुए हैं. आइए जानते हैं इन मंदिरों की क्या मान्यता है और क्या रहस्य है.
उत्तर प्रदेश के मथुरा से करीब 6 किलोमीटर दूर स्थित है वृंदावन. वृंदावन की एक अपनी ही अलग मान्यता है. वृंदावन का अर्थ है, वृंदावन का वन यानी तुलसी का वन. यह वन अपने अंदर ऐसे हजारों रहस्यों को समेटे हुए है. यहां ऐसी हजारों कहानियां आपको सुनने को मिलेंगी. भगवान श्री कृष्ण की क्रीडा स्थल होने के साथ-साथ यहां की मिट्टी का कण कण और ब्रज का पत्ता पत्ता भगवान श्री कृष्ण की भक्ति से ओतप्रोत है. वृंदावन में ऐसे कई प्रमुख मंदिर है जो भगवान श्री कृष्ण की लीलाओं से जुड़े हुए हैं.
राधा रमण मंदिर
यह मंदिर आज भी उसे द्वापर काल की याद दिलाते हैं. इतना ही नहीं यहां ऐसे मंदिरों में एक मंदिर खास हैं. इस मंदिर की अपनी एक अलग ही कहानी है. इस मंदिर को प्यार के मंदिर के नाम से जाना जाता है. यानी राधा रमण जी महाराज का यह मंदिर राधा और कृष्ण के प्रेम का प्रतीक है. राधा रमण मंदिर की सेवायत पुजारी सुमित गोस्वामी से जब बातचीत की गई तो उन्होंने Bharat.one को मंदिर के बारे में बताया.
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500 साल पुरानी है कहानी
Bharat.one से बात करते हुए उन्होंने कहा कि राधा रमण का अर्थ है श्री राधा का प्रेमी. मंदिर की स्थापना 500 साल पहले गोपाल भट्ट गोस्वामी ने की थी. तीस साल की उम्र में गोपाल भट्ट गोस्वामी वृंदावन आए. चैतन्य महाप्रभु के गायब होने के बाद गोपाल भट्ट गोस्वामी को भगवान से गहरा अलगाव महसूस हुआ. अपने भक्त को अलगाव की पीड़ा से राहत दिलाने के लिए भगवान ने गोपाल भट्ट को एक सपने में निर्देश दिया कि अगर आप मेरे दर्शन चाहते हैं तो नेपाल की यात्रा करें. नेपाल में गोपाल भट्ट ने प्रसिद्ध काली-गंडकी नदी में स्नान किया.
नदी में अपना जलपात्र डुबाने पर वे यह देखकर आश्चर्यचकित हो गए कि उनके पात्र में कई शालिग्राम शिलाएं आ गई हैं. उन्होंने शिलाओं को वापस नदी में डाल दिया, लेकिन जब उन्होंने अपना पात्र फिर से भरा तो शिलाएं फिर से उनके पात्र में आ गईं.
FIRST PUBLISHED : January 1, 2025, 18:53 IST
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