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Ekadashi 2025: संतान प्राप्ति और बच्चों की उन्नति के लिए सबसे शुभ दिन पौष पुत्रदा एकादशी, इस तरह करें भगवान विष्णु की पूजा



ऋषिकेश. हिंदू धर्म में एकादशी तिथि को अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र माना गया है. यह तिथि भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित है और इस दिन उनकी विशेष आराधना की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति एकादशी का व्रत पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ करता है, उसके पापों का नाश होता है और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. उत्तराखंड के ऋषिकेश में स्थित ग्रह स्थानम के ज्योतिषी अखिलेश पांडेय ने Bharat.one के साथ बातचीत में कहा कि एकादशी व्रत का विशेष महत्व है क्योंकि यह आत्मिक और शारीरिक शुद्धि का दिन माना जाता है. इस दिन व्यक्ति अपनी इच्छाओं और बुरी आदतों पर नियंत्रण रखता है और केवल भगवान के प्रति समर्पित होता है.

उन्होंने कहा कि धार्मिक ग्रंथों में लिखा गया है कि जो भी व्यक्ति एकादशी का व्रत करता है, उसे पवित्र फल प्राप्त होते हैं और उसके सभी दुख दूर हो जाते हैं. वहीं पौष पुत्रदा एकादशी विशेष रूप से संतान की प्राप्ति और उनकी उन्नति के लिए शुभ मानी जाती है. इस दिन व्रत करने से भगवान विष्णु की कृपा से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है.

कब है साल की पहली एकादशी?
साल 2025 की पहली एकादशी पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी होगी, जिसे पौष पुत्रदा एकादशी कहा जाता है. दृक पंचांग के अनुसार, इस एकादशी की तिथि 9 जनवरी 2025 को दोपहर 12:22 बजे से शुरू होकर 10 जनवरी 2025 को सुबह 10:19 बजे तक रहेगी. उदया तिथि के अनुसार, इस व्रत को 10 जनवरी को रखा जाएगा.

एकादशी व्रत की पूजा विधि
ज्योतिषी अखिलेश पांडेय ने कहा कि एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और शुद्ध वस्त्र धारण करें. इसके बाद घर या मंदिर में भगवान विष्णु के स्थान को साफ-सुथरा करें. प्रभु की प्रतिमा या तस्वीर पर जल और गंगाजल से अभिषेक करें. अभिषेक के बाद भगवान को पीला चंदन, पीले पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें. मंदिर में या भगवान के सामने घी का दीपक जलाएं और व्रत रखने का संकल्प लें. संभव हो तो उपवास रखें और केवल फलाहार करें. इस दिन भगवान विष्णु के “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” मंत्र का जाप करें और पौष पुत्रदा एकादशी की कथा का पाठ करें. पूजन के अंत में भगवान श्री हरि और माता लक्ष्मी की आरती करें. भगवान को फल, मिठाई और तुलसी दल सहित भोग अर्पित करें. भोग लगाने के बाद भगवान से अपने सभी पापों के लिए क्षमा प्रार्थना करें और उनके आशीर्वाद की कामना करें. श्रद्धा और भक्ति के साथ किए गए इस व्रत से व्यक्ति को भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Bharat.one व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.

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