गोरखपुर : गोरखपुर के खिचड़ी मेले की चर्चा जैसे ही शुरू होती है, इस मेले में मिलने वाली ख़ास मिठाई ‘खाजा’ का नाम सबसे पहले जुबान पर आता है. यह मिठाई न सिर्फ स्वाद में लाजवाब है, बल्कि इसका ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व भी बेहद खास है. सालभर का लंबा इंतजार खत्म होने पर जब खाजा की महक बाजार में फैलती है, तो हर कोई इसे चखने के लिए बेताब हो उठता है.
खाजा गोरखपुर और आसपास के क्षेत्रों में खिचड़ी मेले के दौरान सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली मिठाई है. इसकी बनावट और स्वाद इसे अन्य मिठाइयों से अलग बनाता है. खाजा को मैदा, घी और चीनी के खास मिश्रण से बनाया जाता है. इसे परतों में बेलकर तला जाता है, और फिर चाशनी में डुबोकर तैयार किया जाता है. यह पूरी प्रक्रिया मिठाई को एक खास क्रंच और मीठापन देती है. खाजा की परतें इतनी पतली और कुरकुरी होती हैं कि, इसे तोड़ते ही वह अपनी खुशबू से मन मोह लेती है.
परंपराओं से जुड़ा है खाजा
गोरखनाथ मंदिर में मकर संक्रांति के मौके पर लगने वाले खिचड़ी मेले की रौनक हर साल लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है. इस मेले में खाजा का स्टॉल सबसे ज्यादा चर्चित होता है. यह मिठाई इस मेले की परंपरा का हिस्सा बन चुकी है. श्रद्धालु इसे अपने लिए खरीदते हैं, खाजा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व इसे और खास बनाता है. गोरखपुर का खाजा न केवल स्वादिष्ट है, बल्कि यह इस क्षेत्र की परंपराओं और भावनाओं से भी गहराई से जुड़ा हुआ है. खिचड़ी मेले में आने वाले हर व्यक्ति के लिए खाजा का स्वाद चखना, एक यादगार अनुभव बन जाता है.
ऐसे करते हैं तैयार
खाजा बनाने में परंपरागत विधि का पालन किया जाता है. इसे बनाने वाले हलवाई पीढ़ी दर पीढ़ी इस कला को जीवित रखे हुए हैं. खाजा बनाने में घंटों की मेहनत और अनुभव लगता है. यही कारण है कि, इसका स्वाद बेमिसाल होता है. खाजा केवल मिठाई नहीं, बल्कि गोरखपुर की सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा है. खिचड़ी मेले में इसे खरीदने के लिए लोगों की लंबी कतारें लगती हैं. इसकी लोकप्रियता इतनी है कि दूर-दूर से लोग इसे खरीदने आते हैं.
FIRST PUBLISHED : January 2, 2025, 15:00 IST
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