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महाभारत का वो वीर जो था लड़की, जब उसकी शादी एक लड़की से ही हुई तो क्या हुआ


हाइलाइट्स

ये शख्स द्रौपदी का भाई था और पांडवों का सालामहाभारत में उसने सबसे बड़े योद्धा को मारने में मदद कीजब पत्नी के सामने उसकी असलियत जाहिर हुई तो गजब हो गया

क्या आपको मालूम है कि महाभारत का सबसे विचित्र योद्धा कौन था, महाभारत में किसी चरित्र की कहानी इतनी विचित्र नहीं, जितनी उसकी. रिश्ते में वह द्रौपदी का भाई था. पांडवों का साला. कुछ लोग उसको पुरुष कहते हैं तो कुछ स्त्री… तो कुछ किन्नर. हम आपको बताएंगे कि क्या थी उसकी असलियत. इस योद्धा का अजब कहानी. जब उसकी शादी हुई तो क्यों उसके जीवन में भूचाल आ गया. बीवी ने जो किया उससे वह हिल गया.

उसकी कहानी केवल एक जन्म की नहीं है. कई जन्मों से जुड़कर बनी है. असल में वह ना कौरवों का दुश्मन था. ना पांडवों का. महाभारत के युद्ध में वह बेशक पांडवों की ओर से लड़ा लेकिन उसका दुश्मन केवल एक ही था. वह थे भीष्म पितामह. क्यों थे इसकी भी दिलचस्प कहानी है. उसने भीष्म पितामह को मारने के लिए ही जन्म लिया था.

ये महाभारत का सबसे विचित्र योद्धा शिखंडी था. जिसका जन्म पांचाल देश के राजा द्रुपद के यहां हुआ था. द्रुपद एक शक्तिशाली राजा थे. वो द्रौपदी और धृष्टद्युन के भी पिता थे, जो अग्नि कुंड से निकले थे.लेकिन शिखंडी उनकी और रानी द्रुपदमहिषी की वास्तविक संतान थी.

पैदा लड़की के रूप में हुआ 
शिखंडी का जन्म लड़की के रूप में हुआ. उसके जन्म के समय एक आकाशवाणी हुई थी कि उनका लालन-पालन एक पुत्र की तरह किया जाए. इसलिए, द्रुपद ने शिखंडी को एक पुरुष के रूप में ही पाला-पोसा. दुनिया को पता ही नहीं लगने दिया कि ये लड़की है, लिहाजा हर किसी को शिखंडी पुरुष ही लगता रहा.

महाभारत का वो वीर अंदर से लड़की था लेकिन जमाने को हमेशा यही बताया गया कि वो पुरुष है. (Image generated Leonardo AI)

क्या थी उसकी पिछले जन्म की कहानी
शिखंडी को बचपन से ही युद्ध कलाओं का प्रशिक्षण दिया गया. दरअसल शिखंडी ने द्रुपद के यहां एक खास मकसद से जन्म लिया था. मकसद था भीष्म को खत्म करना. शिखंडी पूर्व जन्म में अंबा नाम की एक राजकुमारी था. वह भीष्म से विवाह करना चाहती थी, लेकिन भीष्म ने शादी से इनकार कर दिया. चूंकि भीष्म उसे अपने भाई के लिए काशी जाकर स्वयंवर से अपहरण करके लाए थे, लिहाजा अंबा का प्रेमी राजा शाल्व भी उसको स्वीकार करने को तैयार नहीं हुआ.

उसने खुद को अपमानित महसूस किया. अपमान के कारण अंबा ने शिव की तपस्या की. वरदान मांगा कि वह भीष्म की मृत्यु का कारण बने. शिव ने उसे बताया कि यह अगले जन्म में संभव होगा.

भीष्म को उस शख्स ने मारा
महाभारत युद्ध में शिखंडी ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उसने भीष्म पितामह को युद्ध के लिए बाध्य किया. क्योंकि भीष्म ने कभी किसी स्त्री पर शस्त्र नहीं चलाने का प्रण लिया था. जब शिखंडी युद्ध में भीष्म के सामने आ गया, तो उन्होंने अपने हथियार रख दिए. इस बीच अर्जुन ने बाणों की वर्षा से उन्हें बुरी तरह घायल कर दिया. इसी वजह से बाद में उनकी मृत्यु भी हुई. इस तरह शिखंडी भीष्म की मृत्यु का कारण बना.

जब इस वीर की शादी पुरुष बताकर पड़ोसी देश के राजा की बेटी से हुई तो उसकी असलियत जाहिर हो गई. तब उसके जीवन में ऐसा उथलपुथल हुआ, जिसने उसके जीवन को बदल दिया. (Image generated Leonardo AI)

शादी होते ही भूचाल आ गया
अब आइए ये बताते हैं शिखंडी की शादी कैसे और किससे हुई. राजा द्रुपद ने उसकी शादी एक लड़की से कराई. चूंकि दुनिया को शिखंडी की असलियत के बारे में कुछ नहीं पता था, लिहाजा शादी हो गई. शादी के बाद जब शिखंडी की पत्नी को उसकी असलियत पता चली तो वह उसको छोड़कर चली गई. इससे शिखंडी अंदर तक हिल गया.

पत्नी के पिता बहुत भलाबुरा कहा
जब शिखंडी युवक बन गया तो द्रुपद ने अपनी रानी से कहा, भगवान शंकर के वचन गलत नहीं होंगे, शिखंडी पुरुष बनेगा ही. इसलिए किसी कन्या से इसका विवाह कर दो. दशार्णराज हिरण्यवर्मा की कन्या के साथ शिखंडी का विवाह हुआ. कुछ दिनों बाद इस कन्या ने कुछेक दासियों को अपने पिता के पास भेजकर सूचना दी कि द्रुपदकन्या शिखंडी के साथ उसका विवाह हुआ है. हिरण्यवर्मा ने बहुत क्रोधित होकर दूत द्वारा द्रुपद को संदेशा भिजवाया, ये तुमने अच्छा नहीं किया. अपनी कन्या भी वापस बुला ली.

और वह फिर आत्महत्या करने चल पड़ा
इस सबसे शिखंडी इतना दुखी हुआ कि आत्महत्या करने के बारे में सोचने लगा. इसके लिए जंगल की ओर चला गया. वहां उसने खाना पीना छोड़ दिया. एक यक्ष को उस पर दया आई. उससे शिखंडी ने अपनी सारी कहानी बताई तो उसने कहा, मैं तुम्हें अपना पुरुषत्व देता हूं लेकिन तुमको उसे मुझको लौटाना होगा. इस तरह शिखंडी पुरुष बनकर वापस लौटा. बाद में कुछ घटनाएं ऐसी हुईं कि उसे सदैव के लिए ही पुरुष बन गया. तो ये शिखंडी की पूरी कहानी है.

कैसे हुई इस वीर की मृत्यु 
क्या आपको मालूम है कि शिखंडी की मृत्यु कैसे हुई. महाभारत युद्ध में भीष्म पितामह को मारने के बाद, शिखंडी युद्ध से थक चुके थे. युद्ध समाप्त होने के बाद, जब सभी योद्धा थके हुए अपने-अपने शिविरों में चले गए, तब अश्वत्थामा ने शिखंडी को गहरी नींद में पाया. उन्होंने शिखंडी को द्रोणाचार्य की मृत्यु का मुख्य कारण मानते हुए उन पर हमला कर दिया. शिखंडी गहरी नींद में थे. उनका कोई बचाव नहीं हो सका. अश्वत्थामा ने शिखंडी को मार डाला.

शिखंडी की मृत्यु के ठीक बाद, उस यक्ष को शिखंडी का पुरुषत्व वापस मिल गया, जिसने इसे शिखंडी को वो प्रदान किया था.

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