खरगोन. सतपुड़ा के घने जंगलों में मौजूद प्राचीन श्री हाटकेश्वर महादेव के दर्शन करने के लिए मंगलवार को पूरे मध्य प्रदेश से सैकड़ों भक्त पहुंचे. चमत्कारी बावड़ी में स्नान कर भगवान का जलाभिषेक करके आशीर्वाद प्राप्त किया. दरअसल, मध्य प्रदेश के खरगोन का यह एक ऐसा मंदिर है, जहां भगवान के दर्शन साल में सिर्फ एक बार 7 जनवरी को ही होते हैं. इसके बाद फिर भगवान जलमग्न हो जाते हैं. फिर महादेव के दर्शनों के लिए भक्तों को पूरे साल इंतजार करना पड़ता है.
भगवान का यह अद्भुत मंदिर खरगोन जिला मुख्यालय से करीब 28 km दूर भगवानपुरा क्षेत्र के भाग्यपुरा गांव के नन्हेश्वर धाम में मौजूद है. यह क्षेत्र मार्कण्डेय ऋषि की तपोभूमि भी माना जाता है. लोगों के मुताबिक, यहां मौजूद पारद की अद्भुत शिवलिंग की स्थापना भी मार्कण्डेय ऋषि द्वारा की गई थी है. कहते हैं कि इसी जगह उन्हें 21 कल्प के बाद अमरत्व की प्राप्ति हुई थी. लेकिन, बाद में देखरेख के अभाव में शिवलिंग मिट्टी में दब गया था, जिसे कई वर्षों बाद एक संत ने खुदाई के बाद निकाला.
7 फीट गहरे कुंड में जलमग्न रहती है शिवलिंग
बता दें कि यहां करीब 7 फीट गहरे कुंड में पारद की दुर्लभ शिवलिंग स्थापित है, जो हमेशा जलमग्न रहती है. मंगलवार की सुबह बड़े पम्प लगाकर कुंड का सतत पानी खाली किया गया. पुजारी हरिओम बाबा द्वारा पंचामृत से अभिषेक हुआ. फिर भक्तों के दर्शन का सिलसिला शुरू हुआ. रात 12 बजे तक भक्तों को भगवान के दर्शन लाभ मिलते रहे. मध्य प्रदेश के कई जिलों से भक्त भगवान के दर्शन, पूजन के लिए यहां पहुंचे थे.
28 साल पहले सपने में हुए थे दर्शन
हरिओम बाबा के मुताबिक, 28 साल पहले उन्हें सपने में भगवान ने दर्शन दिए थे. तब उन्होंने ग्रामीणों के सहयोग से यहां खुदाई की तो जमीन के नीचे कुंड में यह शिवलिंग दबा मिला. जिसे बाहर निकालकर पुनः स्थापित किया गया. जिस दिन अभिषेक हुआ, उस दिन 7 जनवरी थी, इसलिए तभी से हर साल कुंड का पानी खाली करके 12 घंटे के लिए भक्तों को भगवान के दर्शन कराए जाते हैं. पास में बनी बावड़ी में नहाते हैं, जिससे उनके शारीरिक रोग दूर होते हैं.
FIRST PUBLISHED : January 8, 2025, 06:45 IST