अजमेर. राजस्थान के अजमेर में चल रहे हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के 813 वें उर्स के छोटे कुल की रस्म मंगलवार को अदा की गई. कुल की रस्म के साथ जन्नती दरवाजे को बंद कर दिया गया. इस रस्म के मौके पर करीब तीन लाख श्रद्धालुओं ने दरगाह में जियारत की.
ख्वाजा गरीब नवाज के सालाना उर्स पर कई परंपरागत रस्मे निभाई जाती हैं. इन सब रस्मों में सबसे आखरी रसम बड़े कुल की रस्म होती है. यह रस्म 10 को की जाएगी. इस रस्म के बाद से ही उर्स मेला सम्पन्न हो जाता है और जायरीन अपने घरों को लौटने लगते हैं. कुल की रस्म के दौरान खादिम दरगाह आने वाले हर जायरीन के लिए दुआएं करते हैं. ताकि वो और उनका परिवार सलामत और खुशहाल रहे.
गुलाब जल और केवड़े की बढ़ती है खपत
दरगाह के पास स्थित दुकानदार आमिर ने बताया कि छोटे कुल की रस्म और बड़े कुल की रस्म में गुलाब जल और केवड़े के पानी की खपत काफी बढ़ जाती है. दरगाह परिसर में और दरगाह के बाहर बड़ी संख्या में चादर, फूल और गुलाब जल, इत्र और केवड़े के जल को बेचने की 100 से अधिक दुकाने हैं. साल में गुलाब जल और केवड़े की यहां उतनी खरीदारी नहीं होती है, जितनी उर्स के दौरान होती है.
क्यों मनाते हैं ‘उर्स’ ?
अजमेर में ख्वाजा गरीब नवाज का उर्स दुनियाभर के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है. इस उर्स के दौरान न केवल देश से, बल्कि विदेशों से भी हजारों जायरीन यहां आते हैं. प्रशासन ने उर्स के दौरान सुरक्षा और व्यवस्था को लेकर पुख्ता इंतजाम किए हैं. दरगाह के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मोहम्मद नदीम ने Bharat.one को बताया कि छठी रजब को ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती का विसाल (निधन) हुआ था. ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की पेशानी पर लिखा था- ‘अल्लाह का दोस्त अल्लाह की याद में रुखसत हुआ’. ख्वाजा गरीब नवाज की पुण्यतिथि के मनाए जाने को ही उर्स कहते हैं.
FIRST PUBLISHED : January 8, 2025, 12:12 IST