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ब्रह्म मुहूर्त में गंगा स्नान का महत्व और नियम


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Ganga Snan ke Niyam: धर्म शास्त्रों के अनुसार ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र नदियों में स्नान करना शुभ होता है. रात्रि में स्नान वर्जित है, इससे बीमारी और अशुभ फल मिलते हैं. मानसिक स्नान का भी महत्व है.

Ganga Snan: सुबह नहीं कर पाए स्नान और रात्रि में किया तो क्या होगा परिणाम?

हाइलाइट्स

  • ब्रह्म मुहूर्त में गंगा स्नान करना बहुत शुभ माना गया है.
  • रात्रि में गंगा स्नान से बीमारी और अशुभ फल मिलते हैं.
  • मानसिक स्नान का भी शास्त्रों में महत्व बताया गया है.

Ganga Snan ke Niyam : हिंदू धर्म शास्त्रों में किसी भी पर्व पर गंगा या किसी भी पवित्र नदी में स्नान करने का बहुत अधिक महत्व होता है. स्नान करने के लिए धर्म शास्त्रों में बहुत नियम बताए गए हैं. सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना सबसे उत्तम माना जाता है. ब्रह्म मुहूर्त में स्नान एवं दान जप आदि का सबसे अधिक फल प्राप्त होता है. लेकिन ऐसा किसी भी शास्त्र में नहीं लिखा है कि ब्रह्म मुहूर्त या शुभ मुहूर्त में अगर स्नान नहीं कर पाते हैं तो बाकी समय में स्नान का कोई फल प्राप्त नहीं होगा. पवित्र नदियों में स्नान करते समय व्यक्ति को मुहूर्त एवं समय का विशेष ध्यान रखना चाहिए. रात्रि कल में पवित्र नदियों में स्नान करने से व्यक्तियों को बीमारी से कष्ट हो सकता है. स्नान के वक्त लोग अक्सर उपासना करते हैं, तो सूर्यास्त के बाद धार्मिक उपासना नहीं की जाती है. शास्त्रों एवं पुराणों में रात्रि का समय विशेष रूप से बुरी शक्तियों और प्रेत आत्माओं से जोड़कर देखा गया है. इसलिए रात्रि कल में स्नान करने से बचें.

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शास्त्रों में बताया है स्नान का समय : शास्त्रों के अनुसार ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना शुभ माना जाता है. सुबह 10:00 बजे के बाद जो लोग स्नान करते हैं उनकी काया निरोगी नहीं रहती है. यदि आप किसी भी कारण प्रातः काल स्नान नहीं कर पाएं तो सायं काल में 04:00 बजे के बाद भी स्नान कर सकते हैं. लेकिन पर्व विशेष, अमावस्या, पूर्णिमा, एकादशी आदि तिथियों पर पूरे दिन स्नान का महत्व होता है. इन विशेष पर्व पर हम सूर्योदय से सूर्यास्त तक कभी भी स्नान कर सकते हैं. सूर्यास्त के बाद पवित्र नदियों में स्नान नहीं करना चाहिए.

करें मानसिक स्नान : यदि आप किसी भी कारणवश किसी नदी में शुभ मुहूर्त में स्नान नहीं कर पाते हैं. या घर से नहीं जा पाते हैं तो आप किसी भी स्थान पर बैठकर अपनी आंखों को बंद करके मानसिक रूप से मां गंगा का आवाहन करके, मानसिक रूप से उपस्थित होकर डुबकी लगा कर पवित्र स्नान का फल प्राप्त कर सकते हैं.

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रात्रि स्नान का महत्व नहीं : शास्त्रों के अनुसार किसी भी पवित्र नदी में सूर्यास्त के बाद स्नान करने का कोई महत्व नहीं होता है. सूर्यास्त के बाद स्नान करने से महालक्ष्मी नाराज हो जाती हैं और व्यक्ति को कोई भी पुणे फल प्राप्त नहीं होता.रात्रि में गंगा स्नान करना वर्जित माना गया है.

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Ganga Snan: सुबह नहीं कर पाए स्नान और रात्रि में किया तो क्या होगा परिणाम?


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https://hindi.news18.com/news/dharm/beware-of-nighttime-ganga-bathing-scriptures-reveal-potential-harm-know-ganga-snan-rule-in-hindi-8992030.html

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