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मां सरस्वती ने लक्ष्मी और गंगा को क्यों दिया श्राप? जानें पौराणिक कथा


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ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, मां सरस्वती ने लक्ष्मी और गंगा को श्राप दिया था. विष्णु जी की तीनों पत्नियों में क्लेश हुआ, जिससे नारायण बैकुंठ छोड़ गए.

आखिर क्यों दिया था मां सरस्वती ने देवी लक्ष्मी और गंगा मां को श्राप, जानें...

आखिर क्यों दिया था मां सरस्वती ने देवी लक्ष्मी और गंगा मता को श्राप

हाइलाइट्स

  • मां सरस्वती ने लक्ष्मी और गंगा को श्राप दिया था.
  • विष्णु जी की तीनों पत्नियों में क्लेश हुआ.
  • लक्ष्मी को तुलसी और गंगा को नदी बनने का श्राप मिला.

Maa Saraswati Curse Goddess Lakshami and Ganga: सनातन धर्म शास्त्रों में दो सरस्वती देवी का वर्णन मिलता है, जिसके अनुसार एक सरस्वती संसार के रचयिता ब्रह्मा जी की पत्नी व पुत्री हैं और दूसरी विष्णु पत्नी सरस्वती हैं. ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार एक बार विष्णु पत्नी मां सरस्वती ने देवी लक्ष्मी और गंगा जी को श्राप दे दिया था. लेकिन क्यों आइए इस बारे में विस्तार से जानते हैं क्या है इसके पीछे कि पौराणिक कथा.

दरअसल, ब्रह्मवैवर्त पुराण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि, मां सरस्वती, माता लक्ष्मी और गंगा जी तिनों ही भगवान विष्णु की पत्नियां थी और तीनों ही पत्नियां हर पल नारायण को प्रसन्न करने के प्रयास में रहती थीं. ऐसे ही एक बार मां गंगा ने नारायण के प्रति अपना लगाव जाहिर किया, जिससे देख सरस्वती जी को अच्छा नहीं लगा और उनके मन में गंगा जी के प्रति ईर्ष्या का भाव आ गया. इसके बाद मां सरस्वती भगवान विष्णु पर क्रोधित हो उठी और उनसे कहने लगीं.

देवी सरस्वती ने विष्णु जी को सुनाई खरी-खोटी
देवी सरस्वती ने भगवान विष्णु को तीनों पत्नियों के प्रति समान प्रेम के सिद्धांत की अनदेखी कर गंगा के प्रति लगाव को लेकर कई बातें सुनाई, इसके साथ ही उन्होंने मां गंगा को भी कई प्रकार के अपशब्द कहे. देवी सरस्वती इतनी क्रोधित थीं कि मां लक्ष्मी के रोकने पर भी वे नहीं रुकीं और इसी तरह तीनों पत्नियों के बीच क्लेश से परेशान होकर विष्णु जी कुछ समय के लिए बैकुंठ से चले गए. विष्णु जी के चले जाने के बाद भी देवी सरस्वती काफी दुखी हुईं.

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देवी सरस्वती ने मां गंगा पर किया प्रहार
नारायण के इस तरह बैकुंठ छोड़कर चले जाने का दोष मां सरस्वती ने गंगा जी को देते हुए क्रोध में उनपर प्रहार करना चाहा, लेकिन मां लक्ष्मी उनके बचाव में दोनों के बीच आ गईं और यही सब देखकर मां सरस्वती ने लक्ष्मी जी को मां गंगा की सहायिका समझकर उन्हें भी अपमानित किया और उन्हें वृक्ष बनने का श्राप दे दिया, जिसके कारण वे पृथ्वी पर तुलसी के पौधे में रुप में अवतरित हुईं.

लेकिन यही सब देखकर मां गंगा ने भी क्रोध में आकर देवी सरस्वती को नदी बनकर भूतल पर प्रवाहित होने का श्राप दे दिया. इसके पलटवार में देवी सरस्वती ने भी गंगा को श्राप दिया कि पृथ्वी पह नदी बनकर बहने व मनुष्यों की अस्थियां ढोने का श्राप दे दिया. इसके बाद श्रीविष्णु वहां पहुंचे और उन्हें तीनों देवियों के श्राप के बारे में जानकारी प्राप्त हुई.

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विष्णु जी ने दिया मां लक्ष्मी को वरदान
साथ ही लक्ष्मी को पौधे व नदीं के रुप में पृथ्वी पर जन्म लेने के कारण उन्हें बहुत दुख हुआ. जिसके बदले उन्होंने देवी लक्ष्मी के स्वभाव व पूरे प्रकरण के दौरान उनकी सूझ-बूझ को देखते हुए उन्हें पूर्ण रुप से बैकुंठ में रहने का वरदान दिया और इसलिए देवी लक्ष्मी का स्थान सदैव विष्णु जी के पास होता है.

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आखिर क्यों दिया था मां सरस्वती ने देवी लक्ष्मी और गंगा मां को श्राप, जानें…

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