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इस साल अचला सप्तमी 4 फरवरी को है. इस दिन नमक खाना वर्जित होता है. ये पर्व मिथिलांचल में काफी धूमधाम से मनाया जाता है. आइये जानते हैं कि इसका क्या महत्व है.

मंदिर में महिलाएं
हाइलाइट्स
- अचला सप्तमी 4 फरवरी को मनाई जाएगी.
- इस दिन नमक खाना वर्जित है.
- सूर्य की आराधना और स्नान शुभ माने जाते हैं.
दरभंगा. सनातन धर्म में कई ऐसे पर्व या त्योहार हैं जिसका विज्ञान से सीधे तौर पर नाता होता है लेकिन यह सदियों और युग पुरानी परंपराएं चलती आ रही हैं. जिसमें से यह अचला सप्तमी जो कि मिथिलांचल में काफी धूमधाम से मनाया जाता है इस दिन नमक खाना बिल्कुल वर्जित माना गया है. विज्ञान की दृष्टि कौन से देखें तो शरीर को हर वातावरण में ढाल कर रखना चाहिए. सप्ताह में एक दिन यदि आप नमक नहीं खाते हैं तो नमक से होने वाले शारीरिक नुकसान से आप बच सकते हैं. जैसे कि आपका ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहेगा, हार्ट अटैक का खतरा कम होगा और आपकी किडनी भी स्वस्थ रहेगी.
इस साल अचला सप्तमी 4 फरवरी को मनाया जाएगा. इस पर विशेष जानकारी देते हुए कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर ज्योतिष विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ कुणाल कुमार झा बताते हैं कि इस साल अचला सप्तमी 4 फरवरी को पड़ रहा है. अचला सप्तमी का जो व्रत है उसमें इस दिन इस व्रत में नमक खाना वर्जित किया गया है. इसलिए इस दिन नमक नहीं खाना है इस सप्तमी के दिन किसी भी प्रकार के दान, पुण्य, स्नान कर्म शुभ कारक होता है और वह अचल रहता है वह आपके धर्म खाता में संचित रहते हैं.
हर घर में होता है व्रत
इस सप्तमी को रक्त सप्तमी भी कहा गया है. इस विधान सप्तमी भी कहा गया है. इस दिन सूर्य की आराधना करना श्रेष्ठ कर माना गया है. खास करके अरुणोदय काल में स्नान करने से सूर्य ग्रहण समतुल्य योग फल की प्राप्ति होती है. गंगा में स्नान करने से सौ सूर्य ग्रहण के बराबर फल प्राप्ति का आधार होता है. बताते चले कि मिथिलांचल में यह अचला सप्तमी व्रत हर सनातनियों के घरों में किया जाता है. लोग इस दिन उपवास रखते हैं और बिना नमक के जो अडवा भोजन होता है उसको ग्रहण करते हैं. काफी धूमधाम से यहां पर मिथिलांचल में मनाया जाता है.
Darbhanga,Darbhanga,Bihar
February 02, 2025, 19:55 IST
कब है अचला सप्तमी, इस दिन क्यों नहीं खाया जाता है नमक, जानें इसका महत्व और लाभ