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Braj Mein Radhe Radhe: ब्रज में श्रीकृष्ण से पहले क्यों लिया जाता है राधा रानी का नाम? जानें इसके पीछे की पौराणिक कथा


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Braj Mein Radhe Radhe: राधा रानी का नाम ब्रजवासियों के लिए अत्यंत प्रिय और पवित्र है. वे राधा को कृष्ण की भक्ति का मार्ग मानकर उनकी पूजा करते हैं. यहां की गलियों में राधा-कृष्ण की लीलाओं के गीत गूंजते हैं.

ब्रज में श्रीकृष्ण से पहले क्यों लिया जाता है राधा रानी का नाम?

राधा रानी ब्रज

हाइलाइट्स

  • ब्रज में राधा का नाम पहले लिया जाता है.
  • राधा रानी के त्याग और प्रेम का प्रतीक है.
  • राधा-कृष्ण की जोड़ी प्रेम का प्रतीक है.

Braj Mein Radhe Radhe: ब्रज भगवान कृष्ण और राधा रानी की लीलाओं का साक्षी है. यहां की हवाओं में राधा-कृष्ण के प्रेम की सुगंध बसी है और कण-कण में उनकी मधुर स्मृतियां रची हैं. फिर भी ब्रज में कृष्ण से पहले राधा का नाम क्यों लिया जाता है? इसके पीछे कई पौराणिक कथाएं और मान्यताएं हैं. आइए जानते हैं आखिर क्यों ब्रज में कृष्ण से पहले लिया जाता है राधा रानी का नाम.

ब्रज में राधा नाम की महिमा
ब्रज में राधा रानी का नाम कृष्ण से पहले लिया जाता है. “राधे-कृष्ण” का उच्चारण यहां की परंपरा है और इसके पीछे एक विशेष कारण है. एक कथा के अनुसार, जब श्री कृष्ण ब्रज छोड़कर द्वारका चले गए थे  तो राधा रानी और गोपियां उनकी विरह वेदना से व्याकुल हो गईं. कृष्ण के वियोग में वे इतनी दुखी थीं कि उनका नाम सुनने मात्र से ही वे मूर्छित हो जाती थीं. गोपियों की यह दशा देखकर ब्रज के पुरुषों ने
राधा रानी से प्रार्थना की कि वे कृष्ण का नाम न लें क्योंकि इससे गोपियों की पीड़ा और बढ़ जाती है. राधा रानी ने उनकी बात मान ली और उन्होंने कृष्ण का नाम लेना छोड़ दिया. लेकिन उनके हृदय में कृष्ण का प्रेम अटूट था. उन्होंने कृष्ण के प्रेम में डूबकर अपना जीवन व्यतीत किया.

इस घटना के बाद ब्रज में राधा रानी का नाम कृष्ण से पहले लिया जाने लगा. यह राधा रानी के त्याग, प्रेम, और समर्पण का प्रतीक है. आज भी ब्रज में राधा रानी की महिमा गाई जाती है. यहां के मंदिरों में राधा-कृष्ण की मूर्तियां एक साथ स्थापित हैं, और भक्त दोनों की पूजा करते हैं. राधा रानी के नाम का जाप करने से भक्तों को शांति, प्रेम, और आनंद की प्राप्ति होती है.

अन्य कथा के अनुसार, एक बार कृष्ण बीमार पड़ गए. ऋषि दुर्वासा उनके दर्शन करने आए. कृष्ण ने ऋषि से कहा कि राधा के नाम का जाप करने से उनकी पीड़ा कम हो रही है. ऋषि ने राधा के प्रेम की परीक्षा लेने का निर्णय लिया. उन्होंने एक फूटी मटकी में पानी भरकर लाने की शर्त रखी. राधा ने अपनी अपार भक्ति और प्रेम से मटकी को भरा और ऋषि को चकित कर दिया.

इन कथाओं के अलावा, कुछ मान्यताएं यह भी है कि राधा रानी भगवान कृष्ण की अनन्य प्रेमिका और उनकी दिव्य शक्ति का प्रतीक हैं. वे प्रेम, भक्ति, और समर्पण की मूर्ति हैं. राधा रानी के बिना कृष्ण अधूरे हैं,और कृष्ण के बिना राधा. दोनों एक दूसरे के पूरक हैं और उनकी जोड़ी ब्रह्मांड में प्रेम का प्रतीक है.

एक अन्य मान्यता के अनुसार राधा रानी की कृपा से ही कृष्ण की प्राप्ति होती है. इसलिए राधा का नाम लेने से कृष्ण प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं. इन सभी कारणों से ब्रज में कृष्ण से पहले राधा का नाम लिया जाता है. यहां के लोग राधा रानी को अपनी आराध्य देवी मानते हैं, और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए उनकी भक्ति में लीन रहते हैं. राधा रानी का नाम ब्रज की संस्कृति और परंपराओं का अभिन्न अंग है. यह प्रेम, भक्ति, और समर्पण का प्रतीक है.

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ब्रज में श्रीकृष्ण से पहले क्यों लिया जाता है राधा रानी का नाम?

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