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ग्वालों ने फेंके थे पत्थर, तालाब में डूबने की बजाय तैरने लगे, कहां है ये मंदिर जहां तैरते पत्थरों की होती है पूजा!


Agency:Local18

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Buteshwar Mahadev Temple: गुजरात के बनासकांठा में स्थित बुटेश्वर महादेव मंदिर अपने तैरते पत्थरों और चमत्कारिक घटनाओं के लिए प्रसिद्ध है. भक्तों का मानना है कि यहां मांगी गई मनोकामनाएं पूरी होती हैं

कहां है ये मंदिर? जहां शिवलिंग के साथ तैरते पत्थरों की होती है पूजा

गुजरात का बुटेश्वर महादेव मंदिर

हाइलाइट्स

  • बुटेश्वर महादेव मंदिर तैरते पत्थरों के लिए प्रसिद्ध है.
  • भक्तों का मानना है कि यहां मांगी गई मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
  • मंदिर में प्राचीन तैरते पत्थरों की पूजा होती है.

बनासकांठा: गुजरात का बनासकांठा सिर्फ अपने खेत-खलिहानों और पशुपालन के लिए मशहूर नहीं है, बल्कि इसकी मिट्टी आध्यात्मिक चमत्कारों से भी भरी पड़ी है. यहां के मंदिरों में एक ऐसा मंदिर भी है, जिसके पीछे एक अनोखी दास्तान छुपी हुई है. हम बात कर रहे हैं डीसा तालुका के ढुवा गांव में स्थित बुटेश्वर महादेव मंदिर की. इस मंदिर की स्थापना के पीछे एक रोचक ऐतिहासिक कथा छुपी है. आइए जानते हैं यहां आने वाले भक्त क्या मानते हैं…

प्राचीन समय में, ढुवा गांव में ‘गौ लोक तालाब’ नाम का एक तालाब था. इस तालाब के किनारे ग्वाले अपनी गायों को चराने लाते थे. यहां पशुओं को चराते समय ग्वाले बाहर निकले पत्थरों को तालाब के बीच में फेंक देते थे, लेकिन जब ग्वालों ने देखा कि जो पत्थर वे तालाब में फेंकते थे, वे अगले दिन तैरकर किनारे आ जाते थे. इस चमत्कारिक घटना के बाद, ग्वालों ने उस स्थान पर एक छोटे शिवलिंग की स्थापना की, जो आज बुटेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है.

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विशाल मंदिर का निर्माण हुआ
समय के साथ, यह छोटा मंदिर गांववालों की श्रद्धा का केंद्र बन गया. ग्रामवासियों ने सामूहिक प्रयासों से एक विशाल मंदिर का निर्माण किया, जो आज बनासकांठा और आसपास के जिलों के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बन गया है. आज भी मंदिर में वे प्राचीन तैरते पत्थर सुरक्षित हैं, जिनकी भक्त शिवलिंग के साथ पूजा करते हैं.

‘यहां मांगी गई मनोकामनाएं पूरी होती हैं’
भक्तों का मानना ​​है कि यहां मांगी गई हर मनोकामनाएं पूरी होती हैं. खासकर पशुओं की बीमारियों, त्वचा रोगों और बच्चों की बीमारियों के लिए लोग यहां गुड़ चढ़ाते हैं. रोग से मुक्ति मिलने के बाद भक्त गुड़ का प्रसाद ग्रहण करते हैं. श्रावण मास के अलावा भी यहां हर दिन बड़ी संख्या में भक्त दर्शन के लिए आते हैं.

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