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क्रायोथेरेपी: फायदे, उपयोग और सावधानियां


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Explainer- मांसपेशियों में जकड़न हो या खिंचाव, स्किन जल गई हो या बहुत से तिल हों, क्रायोथेरेपी कई बीमारियों को दूर करने के लिए मददगार है. इससे एजिंग की रफ्तार भी घटती है. क्रायोथेरेपी सोशल मीडिया की वजह से तेजी…और पढ़ें

क्‍या है क्रायोथेरेपी? हाड़ कंपाने वाली सर्दी करेगी कई बीमारियों का इलाज!

क्रायोथेरेपी कराने से 2 घंटे पहले खाना खा लेना चाहिए (Image-Canva)

कार्तिक आर्यन, रकुलप्रीत सिंह, समांथा रुथ प्रभु समेत कई बॉलीवुड और हॉलीवुड सेलिब्रिटी क्रायोथेरेपी लेते रहते हैं. सेलिब्रिटीज ने जब इसकी फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट कीं तो लोगों के बीच भी यह थेरेपी पॉपुलर होने लगी. इस थेरेपी के बहुत सारे फायदे हैं. कुछ मिनटों की यह थेरेपी शरीर को तरोताजा करने के साथ ही स्किन को भी बेदाग बनाती है.

क्रायोथेरेपी क्या होती है
क्रायोथेरेपी एक ऐसी थेरेपी है जिसमें व्यक्ति को बिना कपड़ों के माइनस डिग्री सेल्सियस के तापमान के बीच 3 से 5 मिनट तक रखा जाता है. इसके लिए एक खास तरह का कमरा बना होता है. यह हद से ज्यादा ठंडा तापमान शरीर को बेहद फायदा पहुंचाता है. तापमान को माइनस डिग्री पर रखने के लिए कई बार लिक्विड नाइट्रोजन का भी इस्तेमाल किया जाता है. वहीं कुछ लोग इस थेरेपी में आइस बाथ लेना पसंद करते हैं. इसमें 15 डिग्री से कम ठंडे पानी में डुबकी लगाई जाती है. यह थेरेपी आइस पैक से भी होती है. क्रायोथेरेपी के एक सेशन की कीमत 4 हजार रुपए से शुरू होती है जो 10 हजार तक जा सकती है. 

तनाव होता दूर
हद से ज्यादा ठंडे पानी या ठंडे वातावरण में शरीर को कुछ मिनटों के लिए बिना कपड़ों के खुला छोड़ देने से शरीर के स्ट्रेस हॉर्मोन जैसे नोरेड्रिनेलिन और कॉर्सिटोल का लेवल कम होने लगता है. स्ट्रेस हॉर्मोन का स्तर घटता है तो डोपामाइन और एंडॉर्फिन जैसे हैप्पी हॉर्मोन रिलीज होने लगते हैं जिससे मूड अच्छा रहता है. इस थेरेपी से व्यक्ति बेहद रिलैक्स महसूस करता है. कुछ स्टडीज में यह सामने आ चुका है कि क्रायोथेरेपी से इम्यून सिस्टम मजबूत बनता है और डिप्रेशन, एंग्जाइटी जैसे मेंटल डिसऑर्डर दूर रहते हैं.

क्रायोथेरेपी से एग्जिमा नाम की स्किन की बीमारी ठीक हो सकती है (Image-Canva)

वजन घटता है
क्रायोथेरेपी से शरीर का मेटाबॉलिज्म दुरुस्त होता है. इस तरह का तापमान शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए एंटीबॉडीज और T सेल्स को बढ़ा देता है जिससे मेटाबॉलिज्म बढ़ता है. इस ठंडे माहौल में शरीर खुद को गर्म रखने के लिए ज्यादा कैलोरी बर्न करता है जिससे वजन घटने लगता है. 

एजिंग होती दूर, स्किन बनती बेदाग
स्किन एक्सपर्ट डॉ. संजय भरिजा कहते हैं कि क्रायोथेरेपी एक फैट फ्रीजिंग तकनीक है जिससे स्किन टोन्ड होती है. इससे स्किन में ब्लड का फ्लो अच्छा होता है जिससे कोलेजन अच्छी मात्रा में बनता है. इस कोलेजन नाम के केमिकल से ही स्किन टाइट रहती है जिससे झुर्रियां नहीं पड़ती. यानी क्रायोथेरेपी से एजिंग की रफ्तार कम हो जाती है. यहीं नहीं जिन लोगों को सनबर्न है, अनइवन स्किन टोन की समस्या है या चेहरे पर दाग-धब्बे, तिल, मस्से हैं तो क्रायोथेरेपी से इन सब समस्याओं से निजात पाया जा सकता है.

शरीर के दर्द को करे कम
जिन लोगों के मसल्स में ऐंठन होती है या शरीर में दर्द या सूजन हो तो क्रायोथेरेपी बेहद फायदेमंद है. इससे मांसपेशियां रिलैक्स होती हैं और एब्नॉर्मल टिश्यू रिपेयर या रिमूव होते हैं. जो लोग वर्कआउट करते हैं, उन्हें क्रायोथेरेपी नियमित रूप से करानी चाहिए. इससे मांसपेशियों में खिंचाव नहीं आता. जिन लोगों की सर्जरी हुई है, उनके लिए भी यह फायदेमंद है लेकिन इसके लिए पहले डॉक्टर की सलाह लेनी जरूरी है.

क्रायोथेरेपी से आंखों के नीचे की सूजन गायब होने लगती है (Image-Canva)

कैंसर का भी होता इलाज
क्लीवलैंड क्लिनिक के अनुसार क्रायोथेरेपी कराने की सलाह कैंसर के मरीजों को भी दी जाती है. जो लोग बोन कैंसर, लीवर, सर्वाइकल, प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित होते हैं, वह इस थेरेपी की मदद से जल्दी ठीक होते हैं और दर्द भी कम हो जाता है. स्किन कैंसर की एलर्जी स्टेज में भी ऐसा किया जा सकता है. बच्चों में पाया जाने वाला रेटिना का कैंसर रेटिनोब्लास्टोमा भी इससे ट्रीट किया जाता है. दरअसल क्रायोथेरेपी में हद से ज्यादा ठंडे तापमान को शरीर के एब्नॉर्मल टिश्यू से ट्रीट किया जाता है. इस तापमान पर सेल्स जीवित नहीं रह पाते और खत्म हो जाते हैं. इस थेरेपी को दो तरीके से किया जाता है. अगर खराब टिश्यू स्किन पर हैं तो व्यक्ति को ठंडे तापमान वाले कमरे में बैठाया जाता है और ट्यूमर है तो शरीर के अंदर कुछ इंस्ट्रूमेंट की मदद से ठंडा तापमान किया जाता है. 

इन लोगों को नहीं लेनी चाहिए यह थेरेपी
जिन लोगों के शरीर पर किसी तरह के घाव हैं या ठंडे तापमान से एलर्जी होती है या कोई दिल का मरीज है, उन्हें क्रायोथेरेपी नहीं दी जाती. प्रेग्नेंट महिलाओं को भी इससे बचना चाहिए. इस थेरेपी को किसी एक्सपर्ट की निगरानी में और डॉक्टर की सलाह से ही लेना चाहिए. इस थेरेपी के कई साइड इफेक्ट भी हैं. इससे पेट में मरोड़, ब्लीडिंग, बोन फ्रैक्चर या इंफेक्शन भी हो सकता है.

प्राचीन मिस्र में भी होता था इलाज
डर्मेटोलॉजी ऑनलाइन जनरल के मुताबिक क्रायोथेरेपी से इलाज करना कोई नहीं बात नहीं है. 4500 साल पहले प्राचीन मिस्र में इस थेरेपी की मदद से चोट ठीक करने के सबूत मिले. कुछ लोग इसे ब्यूटी ट्रीटमेंट भी लेते थे. 1845 में इंग्लैंड के डॉ.जेम्स अर्नॉट ने इस रिसर्च की और पाया कि ठंड तापमान से सिरदर्द समेत कई तरह की बीमारियां ठीक होती हैं. उन्होंने ही -18° से -24°C के तापमान पर कैंसर का इलाज खोजा. डॉ.जेम्स अर्नॉट को फादर ऑफ क्रायोथेरेपी भी कहा जाता है.  

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