Agency:Bharat.one Uttarakhand
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Dew benefits : उत्तराखंड के बागेश्वर में इसे औषधि के रूप में उपयोग किया जाता है. ये स्किन एलर्जी, फटे होठ, सूजन और अन्य बीमारियों के इलाज में मददगार है. इसके औषधीय गुणों की पुष्टि आयुर्वेद भी करता है.

फसल में गिरी ओस
बागेश्वर. उत्तराखंड में प्रकृति के कण-कण में औषधीय तत्व पाएं जाते हैं. पहाड़ों पर गिरने वाली ओस को भी अमृत के समान समझा जाता हैं. बागेश्वर जैसे पहाड़ी इलाकों में ओस का आज भी दवा के रूप में इस्तेमाल होता है. पहाड़ों में पुरातन काल से ही ओस को औषधि के रूप में यूज किया जाता रहा है. ये एक प्रकार का घरेलू नुस्खा भी है. ओस के औषधीय गुणों की पुष्टि आयुर्वेद भी करता है. जब पहाड़ में अधिक संसाधन नहीं हुआ करते थे. तब इसी प्रकार के घरेलू नुस्खे आजमाकर बीमारियों को ठीक किया जाता था. पहाड़ में स्किन एलर्जी को ठीक करने के लिए आज भी ओस का यूज किया जाता है.
आसानी से उपलब्ध
बागेश्वर के औषधीय जानकार रमेश पर्वतीय Bharat.one से कहते हैं कि ओस कई बीमारियों की कारगर दवा है. पहाड़ की ओस से कई प्रकार की जूड़ी-बूटियां तैयार की जाती हैं. सुबह पांच बजे से सात बजे तक की ओस को अमृत माना जाता है. शरीर में कहीं पर भी एलर्जी हो रही हो एक हफ्ते तक उस जगह पर ओस की बूंदें लगाएं तो एलर्जी गायब हो जाएगी. ध्यान रहे कि बीमारियों को ठीक करने के लिए जंगली घास की ओस का यूज नहीं किया जाता है. बल्कि घरेलू फसलों पर गिरने वाली ओस काम आती है. इन दिनों पहाड़ों में आसानी से ओस मिल जाएगी. जिन जगहों पर धूप देर में आती है, वहां तो ओस नौ बजे तक भी रहती है.
फोड़े-फुंसी में
ओस हमारे चेहरे के दाग-धब्बों को ठीक करने, फटे होठों को मुलायम रखने, पैरों की सूजन को कम करने, मुंह के छालों को ठीक करने और स्किन की एलर्जी को ठीक करने में मददगार है. ये बिना किसी खर्च के आपकी इन बीमारियों को ठीक कर सकती है. ओस का यूज फोड़े-फुंसी, खुजली और जलन को ठीक करने के लिए किया जाता है. पहाड़ में जब लड़कियों के नाक-कान में छेद किया जाता है, तब भी इसका इस्तेमाल होता है.
Bageshwar,Uttarakhand
February 09, 2025, 12:31 IST
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