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डायबिटीज के इलाज में आएगा क्रांतिकारी परिवर्तन, वैज्ञानिकों को पता चल गया क्यों होती है यह बीमारी, अब कारण पर चोट


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Diabetes Treatment: वैज्ञानिकों ने एक महत्वपूर्ण खोज करते हुए पाया है कि डाइबिटीज की बीमारी आखिर क्यों होती है. इस खोज के बाद डायबिटीज के इलाज में क्रांतिकारी बदलाव आ सकता है. 

डायबिटीज के इलाज में आएगा क्रांतिकारी परिवर्तन, वैज्ञानिकों को पता चल गया

डायबिटीज के कारणों का पता चला.

Diabetes Treatment: वैज्ञानिकों ने महत्वपूर्ण सफलता हासिल करते हुए बताया कि उनके शोध इस बात का पता चल गया है कि डायबिटीज की बीमारी क्यों होती है. उन्होंने अपने अध्ययन के आधार पर बताया है कि डायबिटीज में मुख्य रूप से पैंक्रियाज का बीटा सेल्स काम करना बंद कर देता है या उसकी क्षमता कम हो जाती है. चूंकि बीटा सेल्स ही इंसुलिन का उत्पाद करता है जो इंसुलिन शरीर में शुगर को पचाकर इसे एनर्जी में बदल देता है, इसलिए जब बीटा सेल्स में गड़बड़ी हो जाती है तब इंसुलिन कम बनता है और इससे डायबिटीज की बीमारी होती है. अब वैज्ञानिकों का कहना है कि बीटा सेल्स में गड़बड़ियां इसलिए होती है क्योंकि सेल्स का माइटोकॉन्ड्रिया भी खराब हो जाता है. मुख्य रूप से माइटोकॉन्ड्रिया में खराबी के कारण ही बीटा सेल्स में गड़बड़ियां आती हैं. इस खोज के बाद डायबिटीज के इलाज में क्रांतिकारी परिवर्तन आने की उम्मीद है.

माइटोकॉन्ड्रिया में खराबी मुख्य वजह 

मिशिगन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने बताया कि माइटोकॉन्ड्रिया डायबिटीज के इलाज के लिए कुंजी साबित हो सकता है. टाइप 2 डायबिटीज जैसी बीमारियों का संबंध कोशिकाओं के भीतर मौजूद माइटोकॉन्ड्रिया में खराबी से होता है. इस रोग से पीड़ित मरीज में पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बनता. ध्ययनों से पता चला है कि डायबिटीज के रोगियों में इंसुलिन उत्पादन करने वाले पैंक्रियाज की कोशिकाओं में माइटोकॉन्ड्रिया असामान्य हो जाते हैं जिससे वे एनर्जी उत्पादन करने में असमर्थ होने लगते हैं. यही कारण है डायबिटीज मरीजों में हमेशा थकान भी रहती है. माइटोकॉन्ड्रिया में ही शरीर की एनर्जी बनती है. इसलिए माइटोकॉन्ड्रिया को पावरहाउस ऑफ एनर्जी कहा जाता है.

चूहों पर किया गया अध्ययन 

साइंस जर्नल में प्रकाशित एक नए अध्ययन में मिशिगन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने चूहों पर इस संबंध में प्रयोग किया. अध्ययन के दौरान देखा गया है कि जब माइटोकॉन्ड्रिया में खराबी आने लगती है तब एक ऐसी प्रतिक्रिया उत्पन् होती है जिससे इन बीटा कोशिकाओं का फंक्शन प्रभावित होने लगता है. अध्ययन के प्रमुख प्रोफेसर एमिली एम. वाकर ने बताया कि हम यह निर्धारित करना चाहते थे कि माइटोकॉन्ड्रिया  के फंक्शन को बरकरार रखने के लिए क्या-क्या महत्वपूर्ण हैं. इसके लिए टीम ने पहले माइटोकॉन्ड्रिया को खराब किया. इसके लिए डीएनए को क्षतिग्रस्त किया गया. फिर देखा गया कि जैसे ही माइटोकॉन्ड्रिया क्षतिग्रस्त होता है वैसे ही बीटा सेल्स में खराबी आनी शुरू हो जाती है. इस स्थिति में कोशिकाओं के अंदर अलग तरह का तनाव बन जाता है जो पैंक्रियाज की कोशिकाओं को अपरिपक्व बना देता है.

पैंक्रियाज की कोशिकाएं नष्ट होने से डायबिटीज 

वॉकर ने कहा, अध्ययन में शरीर में एक ही तरह की तनाव प्रतिक्रिया उत्पन्न हुई. इसने पैंक्रियाज की कोशिकाओं को अपरिपक्व बना दिया, जिससे बीटा सेल्स पर्याप्त इंसुलिन का उत्पादन नहीं कर सका और अंततः पैंक्रियाज की कोशिकाएं मरने लगी. शोधकर्ताओं ने बताया कि अग्न्याशय की कोशिकाओं का नष्ट होना टाइप डायबिटीज का सीधा कारण है. इस अध्ययन से हमें समझने में मदद मिलती है कि यह कैसे होता है और इस समस्या का समाधान कैसे खोजा जा सकता है. शोधकर्ताओं ने कहा कि इस अध्ययन से इलाज का नया रास्ता मिल सकता है. अब हमें यह तलाश करना है कि इस माइटोकॉन्ड्रिया को ठीक कैसे करना है.

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https://hindi.news18.com/news/lifestyle/health-scientist-discover-impair-mitochondria-may-cause-of-diabetes-hold-key-to-curing-blood-sugar-9020036.html

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