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मां सरस्वती की विदाई से पहले दिये जाने वाले खोंइछा में क्यों डाला जाता है अक्षत, हल्दी और दूब, यहां जानें डिटेल


Agency:Bharat.one Bihar

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Basant Panchami 2025 : बिहार में विसर्जन से पहले मां को खोइंछा देने की परंपरा है. जिसमें महिलाएं पीले कपड़े में अक्षत (चावल) हल्दी्, दूध और एक सिक्का रखकर बांधती है और मां सरस्वती के कपड़े में टांगा जाता है. 

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मां

मां सरस्वती की पूजा करते छात्र 

हाइलाइट्स

  • मां सरस्वती की विदाई से पहले खोइंछा देने की परंपरा है.
  • खोइंछा में दूब सृष्टि के विस्तार का प्रतीक है.
  • अक्षत का अर्थ है क्षति न होना, खुशहाली की कामना.

गोपालगंज. सोमवार से विद्या की देवी मां शारदे की पूजा का उत्सव मनाया जा रहा है. पूरा जिला बसंत उत्सव के रंग में रंग है. बुधवार को मां सरस्वती की विदाई होगी और इसी के साथ उनके प्रतिमा को विसर्जित किया जाएगा. बिहार में विसर्जन से पहले मां को खोइंछा देने की परंपरा है. जिसमें महिलाएं पीले कपड़े में अक्षत (चावल) हल्दी्, दूध और एक सिक्का रखकर बांधती है और मां सरस्वती के कपड़े में टांगा जाता है.

आखिर खोइंछा में इन चार चीजों की आवश्यकता क्यों होती है. इसकी क्या मान्यता होती है. इसकी जानकारी के लिए लोकेल- 18 की टीम कमला राय कॉलेज के संस्कृत विभाग के अध्यापक प्रो. डॉ जितेंद्र कुमार द्विवेदी से बात की. उन्होंने बताया कि लोकाचार में खोइंछा देने का खास महत्व बताया गया है. उन्होंने चारों चीजों की मान्यता के बारे में विस्तृत जानकारी दी.

सृष्टि के विस्तार का प्रतीक है दूब
प्रो. जितेंद्र द्विवेदी ने बताया कि दूब जब धरती से निकलता है, तो वह चारों ओर फैल जाता है. मां सरस्वती के खाेइंछा में दूब डालकर यह कामना की जाती है कि इसी दूब की तरह सृष्टि का विस्तार हो. सभी भक्त और उनके परिवार हंसी- खुशी और फले- फूलें रहें.

किसी तरह की क्षति ना हो, इसके लिए दिया जाता है अक्षत (चावल)
अक्षत का शाब्दिक अर्थ भी है कि जिसका क्षति न हो. मां सरस्वती के खाेइंछा में अक्षत इसी कामना के साथ् दिया जाता है कि भक्तों को किसी तरह की क्षति नहीं हो. खुशहाली बनी रहे. परिवार के लोग हसंते मुस्कुराते रहें.

भाईचारे के दरार को पाटने के लिए होता है हल्दी
प्रो. जितेंद्र द्विवेदरी ने बताया कि हल्दी का आयुर्वेदिक और आध्यात्मिक दोनों महत्व है. आयुर्वेद के अनुसार जब शरीर में कहीं चोट लग जाती, तो उसे ठीक करने के लिए हल्दी लगाया जाता है. ऐसे ही जब लोगों में मनमुटाव हो जाता है, भाईचारे में दरार आ जाता है, तो उसे खत्म करने की कामना के साथ मां सरस्वती को हल्दी दिया जाता है. आध्यात्मिक महत्व में बताया गया है कि  भगवान विष्णु का कपड़ा भी पीतांबरी अर्थात पीले रंग का होता है. इसलिये उन्हें पीला रंग प्रिय है.

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मां सरस्वती को दिये जाने वाले खोंइछा में क्यों डाला जाता है अक्षत, दूब व हल्दी

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