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Mythology Story: रामायण-महाभारत काल के वो अस्त्र जिससे छूटते थे असुरों के पसीने, जानें उसकी और क्या थी विशेषता


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Mythology Story: महाभारत और रामायण काल के धनुष भारतीय इतिहास के सबसे शक्तिशाली धनुषों में से एक थे. इनकी टंकार मात्र से ही तीनों लोक कांप उठते थे और इनके धारक योद्धाओं ने अपने पराक्रम से इतिहास में अपना नाम अमर…और पढ़ें

रामायण-महाभारत काल के वो अस्त्र जिससे छूटते थे असुरों के पसीने, जानें विशेषता

रामायण महाभारत के धनुष

हाइलाइट्स

  • अर्जुन का धनुष गांडीव ब्रह्मा ने दिया था.
  • भगवान शिव का धनुष पिनाक त्रिपुरासुर वध के लिए था.
  • भगवान राम का धनुष कोदंड रावण वध के लिए था.

Mythology Story: भारतीय इतिहास में दो महाकाव्य हैं, रामायण और महाभारत. दोनों ही ग्रंथों में अनेक शूरवीर योद्धाओं का वर्णन है जिन्होंने अपने पराक्रम से तीनों लोकों को प्रभावित किया. इन योद्धाओं के पास अद्भुत अस्त्र-शस्त्र थे जिनमें से कुछ तो इतने शक्तिशाली थे कि उनकी टंकार मात्र से ही तीनों लोक कांप उठते थे. ऐसा ही एक धनुष था “गांडीव”. यह अर्जुन का धनुष था जो इतना शक्तिशाली था कि उसकी टंकार से शत्रुओं के हृदय में भय उत्पन्न हो जाता था.

अर्जुन को किसने दिया था गांडीव
गांडीव को स्वयं ब्रह्मा ने अर्जुन को प्रदान किया था और यह इतना शक्तिशाली था कि इसे धारण करने वाले योद्धा को कोई भी पराजित नहीं कर सकता था. गांडीव की शक्ति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि महाभारत के युद्ध में अर्जुन ने इसी धनुष से कौरवों की विशाल सेना का संहार किया था. गांडीव की टंकार से ही कौरवों के रथों के पहिए टूट गए थे और उनके हाथियों के चिंघाड़ बंद हो गए थे.

भगवान शिव का धनुष
गांडीव के अलावा एक और धनुष था जिसकी टंकार से तीनों लोक कांप उठते थे. इस धनुष का नाम था “पिनाक”. यह भगवान शिव का धनुष था और यह इतना शक्तिशाली था कि इसकी टंकार से ही पृथ्वी कांप उठती थी.

पिनाक को भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध करने के लिए धारण किया था. त्रिपुरासुर एक ऐसा राक्षस था जिसने अपनी शक्ति से तीनों लोकों को त्रस्त कर दिया था. भगवान शिव ने पिनाक की टंकार से ही त्रिपुरासुर के तीनों नगरों को ध्वस्त कर दिया था.

भगवान राम का धनुष
रामायण में भी एक ऐसे धनुष का वर्णन है जिसकी टंकार से तीनों लोक कांप उठते थे. इस धनुष का नाम था “कोदंड”. यह भगवान राम का धनुष था और यह इतना शक्तिशाली था कि इसकी टंकार से ही राक्षसों के हृदय में भय उत्पन्न हो जाता था.

कोदंड को भगवान राम ने रावण का वध करने के लिए धारण किया था. रावण एक ऐसा राक्षस था जिसने अपनी शक्ति से तीनों लोकों को त्रस्त कर दिया था. भगवान राम ने कोदंड की टंकार से ही रावण की लंका को ध्वस्त कर दिया था.

यह तीनों धनुष- गांडीव, पिनाक और कोदंड भारतीय इतिहास के सबसे शक्तिशाली धनुषों में से एक थे. इनकी टंकार मात्र से ही तीनों लोक कांप उठते थे और इनके धारक योद्धाओं ने अपने पराक्रम से इतिहास में अपना नाम अमर कर दिया.

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