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Gita Updesh: श्रीमद्भगवतगीता के उपदेशों से मानसिक शांति मिलती है. श्रीकृष्ण ने अर्जुन को रिश्तों, धर्म और कर्तव्य पर उपदेश दिए. गीता में बताये गये श्लोक स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिये थे, जो कि आज भी उ…और पढ़ें
Gita Updesh: स्वयं श्रीकृष्ण ने बताया रिश्तों को मजबूत और प्रेम पूर्वक निभाने का तरीका
हाइलाइट्स
- श्रीमद्भगवतगीता के उपदेश मानसिक शांति देते हैं.
- श्रीकृष्ण ने रिश्तों को निभाने के तरीके बताए.
- सम्मान और प्यार से रिश्तों में कड़वाहट नहीं आती.
Gita Updesh: श्रीमद्भगवतगीता का पाठ करने वाले व्यक्ति को मानसिक शांति का अनुभव होता है. गीता में लिखे गये उपदेश स्वयं श्रीकृष्ण द्वारा बताये गए हैं. कहा जाता है कि इन उपदेशों का अनुसरण करने पर व्यक्ति को जीवन में कठिन से कठिन परिस्थितियों से निकलने का रास्ता मिल जाता है. बता दें कि भगवत गीता में श्रीकृष्ण ने अर्जुन को धन, व्यवहार, रिश्तों सहित कई सांसारिक विषयों पर उपदेश दिये हैं.
जिनमें श्रीकृष्ण ने रिश्तों को निभाने व उनकी चुनौतियों के बारे में भी बड़े विस्तार से वर्णन किया है. उन्होंने युद्ध भूमि में अर्जुन को बताया कि कैसे रिश्तों को सही ढंग से निभाना एक चुनौती के समान है और कैसे इन्हें बड़ी सहजता के साथ निभाया जा सकता है. तो आइए विस्तार से जानते हैं भागवताचार्य पंडित राघवेंद्र शास्त्री से गीता के उन उपदेशों के बारे में जो कि रिश्तों को निभाने के बारे में दिये गये हैं.
धर्म और कर्तव्य का करें पालन
भागवतगीता के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति अपने रिश्तों के बीच कर्तव्य और धर्म का पालन करता है तो उसके रिश्तों में कभी उलझनें या कड़वाहट पैदा नहीं होंगी. इसके साथ ही अपने रिश्तों को पूरी जिम्मेदारी के साथ निभाने का प्रयास करें. क्योंकि इन बातों का ध्यान रख लिया तो रिश्ते सहजता से निभा पाएंगे.
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सम्मान और प्यार
भगवातगीता के अनुसार, अगर आप अपने रिश्तों को सम्मान देंगे और उन्हें हमेशा प्यार से सहेजकर रखेंगे तो निश्चित ही आपको अपने रिश्तों में कभी कड़वाहट महसूस नहीं होगी. चाहे आपका रिश्ता किसी छोटे व्यक्ति से हो या फिर बड़े व्यक्ति से हमेशा उन्हें सम्मान दें और प्रेम के साथ हर बात को समझने या समझाने का प्रयास करें. रिश्ते आपस में कभी नहीं उलझेंगे.
खुद का समझने का करें प्रयास
भगवतगीता में श्रीकृष्ण कहते हैं कि जब तक व्यक्ति खुद को नहीं समझ पाता है तब तक वह किसी दूसरे के साथ अच्छा व्यवहार नहीं निभा सकता है. इसलिए रिश्तों व संबंधों को सरलता से निभाने के लिए सबसे जरुरी है खुद की कमजोरियों, शक्तियों और इच्छाओं को पहचानना और फिर उसके अनुसार, दूसरे लोगों से अच्छे संबंधों को निभाना.
मोह और आसक्ति ना रखें
श्रीमद्भगवत गीता के अनुसार, अगर आप किसी रिश्ते को आनंद और सुखप्रद रखना चाहते हैं तो कभी की किसी के प्रति आसक्ति ना रखें और रिश्तों में मोह का भाव ना रखें. वरना आपका रिश्ता ज्यादा समय नहीं चल पाएगा और ना ही आप आनंदपूर्वक उन्हें जी पाएंगे.
February 22, 2025, 15:05 IST
स्वयं श्रीकृष्ण ने बताया रिश्तों को मजबूत और प्रेम पूर्वक निभाने का तरीका







