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Maha Shivratri 2025 : त्रिपुंड भगवान शिव के माथे पर बनी तीन रेखाएं हैं, जो इच्छाशक्ति, ज्ञानशक्ति और क्रियाशक्ति का प्रतीक हैं. प्रदीप मिश्रा जी ने बताया कि त्रिपुंड लगाने के लिए अनामिका और मध्यमा उंगली से दो ल…और पढ़ें
त्रिपुंड लगाने से मानसिक शांति और रोगों से मुक्ति मिलती है.
हाइलाइट्स
- त्रिपुंड भगवान शिव के माथे पर बनी तीन रेखाएं हैं.
- त्रिपुंड लगाने से मानसिक शांति और रोगों से मुक्ति मिलती है.
- त्रिपुंड लगाने का सही तरीका प्रदीप मिश्रा जी ने बताया है.
Maha Shivratri 2025 : त्रिपुंड, भगवान शिव के माथे पर बनी तीन रेखाओं को कहते हैं. शिव पुराण के मुताबिक भगवान भोलेनाथ को त्रिपुंड लगाना बहुत शुभ फलदाई माना जाता है. त्रिपुंड के लिए लाल चंदन अथवा अष्टगंध का प्रयोग करना चाहिए. मान्यता है कि महादेव की पूजा अर्चना और जब के पहले यदि व्यक्ति भगवान भोलेनाथ को त्रिपुंड तिलक अर्पित करता है तो उसे महादेव की विशेष कृपा प्राप्त होती है. शिवलिंग पर त्रिपुंड लगाने के लिए तीन क्षेत्रीय रेखाएं खींची जाती है. ये तीन रेखाएं शिव की इच्छाशक्ति, ज्ञानशक्ति और क्रियाशक्ति की तीन गुना शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं.त्रिपुण्ड शब्द संस्कृत से आया है और इसका अर्थ है “तीन निशान.त्रिपुंड पवित्र राख (विभूति) से बना होता है.त्रिपुंड, भगवान शिव का प्रतीक है. इसे शिव तिलक भी कहा जाता है. यह भस्म या विभूति से बना तिलक होता है.
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त्रिपुंड लगाने का गलत तरीका : तीन उंगली में चंदन लगाकर यूं लपेट दिया.महादेव को त्रिपुंड लगाने का यह तरीका बिल्कुल गलत है. इस तरह से जो त्रिपुंड महादेव को लगाया जाता है उससे अच्छे फल की प्राप्ति और महादेव की कृपा के बजाय हमें पाप लगता है.
त्रिपुंड लगाने का सही तरीका : मध्य प्रदेश के सीहोर के विश्व प्रसिद्ध कथावाचक प्रदीप मिश्रा जी द्वारा बताया गया कि महादेव को त्रिपुंड कैसे लगाया जाता है. सीधे हाथ की बीच की दोनों उंगली अनामिका और मध्यमा से महादेव पर पहले दो लाइन खींची जाती हैं. उसके बाद तर्जनी उंगली से एक लाइन सबसे नीचे खींचते हैं. इस तरह महादेव को त्रिपुंड लगाया जाता है. त्रिपुंड सदैव वाएं नेत्र से दाएं नेत्र की ओर लगाना चाहिए.त्रिपुंड तिलक पहनने से सभी पवित्र नदियों और तीर्थस्थानों में स्नान करने का पुण्य मिलता है.
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त्रिपुंड लगाने के लाभ : महादेव को त्रिपुंड लगाने से व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है. उसके मन से किसी भी प्रकार का भय-शोक दूर हो जाता है. व्यक्ति की मनोकामनाएं पूर्ण होती है साथ ही सभी प्रकार के रोगों से मुक्ति मिलती है. जन्म कुंडली में मौजूद नवग्रह दोषों से मुक्ति मिलती है और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है.वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, त्रिपुंड में कुल 27 देवी-देवताओं का वास होता है. त्रिपुंड की प्रत्येक रेखा में 9 देवताओं का वास होता है.
February 22, 2025, 19:16 IST
महादेव को त्रिपुंड लगाने का सही तरीका और इसके लाभ.







