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नागेश्वर ज्योतिर्लिंग: द्वारका में भगवान शिव की महिमा और दर्शन का समय


Agency:Local18

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Gujarat Nageshwar Temple:भुवननाथ में शिवरात्रि के मेलों की शुरुआत हो चुकी है. शिवरात्रि में अब कुछ ही दिन बचे हैं. गुजरात में दो ज्योतिर्लिंग स्थित हैं. हाला की धरती पर नागेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है. यहां 156 …और पढ़ें

ज्योतिर्लिंग जहां दर्शन से मिटते पाप! 125 फुट की शिव प्रतिमा 16 KM से दिखती

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग

जामनगर: अमर और अजर भगवान शिव की आराधना और महिमा का पर्व शिवरात्रि अब नजदीक आ गया है. गुजरात में दो ज्योतिर्लिंग हैं, जिनमें से एक सोमनाथ और दूसरा द्वारका में स्थित नागेश्वर ज्योतिर्लिंग है. द्वारका की धरती पर नागेश्वर और नागेश्वरी के रूप में शिव और पार्वती विराजमान हैं. मान्यता है कि इनके दर्शन मात्र से अज्ञात पाप धुल जाते हैं. आइए, इसके महिमा के बारे में विस्तार से जानते हैं…

हाला की धरती पर कई धार्मिक स्थल हैं. इनमें से द्वारका धाम से लगभग 16 किमी दूर स्थित नागेश्वर मंदिर भी एक है. मान्यता है कि भगवान महादेव के इन मंदिरों को ज्योतिर्लिंग कहा जाता है. शास्त्रों के अनुसार, भगवान शिव ने स्वयं अपने भक्तों की भक्ति से प्रसन्न होकर इन स्थानों पर अवतार लिया था. वर्षों पुराने इस मंदिर में भक्त दर्शन के लिए आते हैं. कहा जाता है कि यहां दर्शन मात्र से भक्त पापों से मुक्त हो जाते हैं.

दर्शन का समय कब शुरू होता?
गोल और काली शिला से बने त्रि-मुखी रुद्राक्ष स्वरूप में विराजमान भगवान नागेश्वर मंदिर के दर्शन का समय सुबह 5 बजे महादेव की आरती से शुरू होता है. इसके बाद 6 बजे मंदिर भक्तों के लिए दर्शनार्थ खुलता है, जो दोपहर 12:30 बजे तक खुला रहता है. फिर शाम 4 बजे ज्योतिर्लिंग का श्रृंगार होता है और शाम 5 बजे से रात 9:30 बजे तक मंदिर श्रृंगार दर्शन के लिए खुला रहता है. साथ ही शाम 7 बजे आरती होती है. चांदी के आवरण और चांदी के नाग की आकृति के साथ नागेश्वर शिवलिंग के पीछे पार्वती की मूर्ति स्थापित है.

मंदिर के बाहर 125 फुट ऊंची शिव की प्रतिमा
इसके अलावा मंदिर के बाहर 125 फुट ऊंची शिव की प्रतिमा है, जो भक्तों के बीच खास आकर्षण का केंद्र है. गुलशन कुमार ट्रस्ट ने इस भगवान शिव की मूर्ति बनाई थी. इस मनमोहक मूर्ति के दर्शन नागेश्वर पहुंचने से पहले ही हो जाते हैं. 125 फुट ऊंची और 25 फुट चौड़ी प्रतिमा पद्मासन मुद्रा में शिव विराजमान हैं. मंदिर के आसपास वृक्षों और पक्षियों का कलरव दर्शनार्थियों के लिए स्वर्ग समान बनाता है. यहां पक्षियों के लिए अनाज के दाने भी डाले जाते हैं. मंदिर परिसर के पास गोपी तालाब स्थित है. यहां किए गए उत्खनन में पांच हजार साल पुराने नगरों के अवशेष मिले हैं.

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नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए द्वारका से रिक्शा मिलती है, जो लगभग 16 किमी दूर है. हवाई मार्ग से जाना हो तो जामनगर या पोरबंदर पहुंचना पड़ता है, जहां से कैब द्वारा जाया जा सकता है. मंदिर जामनगर से 145 किमी और पोरबंदर से 125 किमी दूर है. रेल मार्ग से जाना हो तो द्वारका या ओखा रेलवे स्टेशन से रिक्शा द्वारा पहुंचा जा सकता है.

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ज्योतिर्लिंग जहां दर्शन से मिटते पाप! 125 फुट की शिव प्रतिमा 16 KM से दिखती

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