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Ramadan 2025: इस्लाम में रमजान का महीना बहुत ही पाक साफ महीना माना जाता है. इस पूरे महीने में मुस्लिम धर्म के लोग रोजा रखते हैं. इस दौरान खुदा की इबादत की जाती है. बता दें कि चांद दिखने के साथ ही रमजान का महीन…और पढ़ें

रमजान के महीने में आसमान से नाज़िल हुआ था कुरान
हाइलाइट्स
- रमजान 2 मार्च से शुरू हो रहा है.
- कुरान रमजान के महीने में नाजिल हुआ था.
- सबसे पहला रोजा हजरत आदम ने रखा था.
देहरादून: 2 मार्च से रमजान का महीना शुरू हो गया है. मुस्लिम समुदाय के लोग इस महीने को पवित्र मानते हैं और भूखे प्यासे रहकर अल्लाह की इबादत करते हैं. इस मुबारक महीने में ही कुरान को जमीन पर लाया गया था. रमजान के महीने में रोजा रखने के साथ पांचों वक्त की नमाज और तरावीह का विशेष महत्व है. इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक इस महीने में रोजे रखना का हुक्म खुदा ने दिया था.
देहरादून के मौलाना ने बताया
उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के शहरकाजी मौलाना मोहम्मद अहमद कासमी ने Bharat.one को जानकारी देते हुए कहा कि कुरान की दूसरी ‘आयत सूरह अल बकरा’ में रोजे को फर्ज बताते हुए उसकी अहमियत बताई गई है. यह इबादत सब्र और परहेजगारी का महीना है, जिसमें हर बुरे काम से दूर रहकर नेक काम जैसे सदका-जकात (दान) करना होता है.
उन्होंने कहा कि रमजान मुबारक के महीने में कुरान नाजिल किया गया था, यानी जमीन पर लाया गया था. इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक रमजान के आखिरी हिस्से में कुरान को उतारा गया था, जो 21, 23, 25, 27 और 29 में से कोई एक रात हो सकती है. इसे लैलतुल कद्र कहा जाता है. इस रात में जागकर इबादत करने से गुनाहों से माफी मिलती है. रोजा रखने वाला रोजेदार सूर्योदय से करीब 1:30 घण्टे पहले सेहरी और सूर्योदय के बाद इफ्तार करता है. रोजे के दौरान वह नमाज और कुरान भी पढ़ता है.
30 दिनों तक रहते हैं रोजा
इसके अलावा रमजान में वह तरावीह भी पढ़ता है, जो 30 दिनों तक पढ़ी जाती है. क्योंकि कुरान में 30 सिपारे होते हैं. हर दिन 1 सिपारा पढा जाता है. कुछ जगह ये जल्दी पूरे हो जाते हैं. कुरान में रोजे का जिक्र किया गया है, लेकिन कुरान से पहले भी लोग रोजा रखा करते थे. इस्लामिक हदीस के मुताबिक अल्लाह ने रोजे को पांच फर्ज में शामिल करके महीनेभर रोजे रखने का हुक्म सुनाया था.
जानें सबसे पहला रोजा कौन था
बताया जाता है कि दुनिया में सबसे पहला रोजा हजरत आदम अलैहिस्सलाम ने तब रखा था. जब उन्होंने शैतान के बरगलाने पर पेड़ का वह फल खा लिया, जिसे अल्लाह ने मना किया था. इसके चलते उन्हें जन्नत से निकालकर धरती पर भेजा गया. यहां उन्होंने क़ई सालों तक खुदा से माफी मांगी, उन्हें अल्लाह ने उस गलती की माफी दी और उन्हें रोजा रखने को कहा.
मुसलमानों के लिए पांच फर्ज
शहरकाजी बताते हैं कि मुसलमानों के लिए इस्लाम मे पांच फर्ज बताए गए हैं, जिनमें कलमा, नमाज, जकात, रोजा और हज है. एक मुसलमान के लिए जरूरी बताए गए ये काम पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब भी नियमित रूप से किया करते थे और उनके अनुयायी भी इन्हें फॉलो करते हैं.
Dehradun,Uttarakhand
March 02, 2025, 10:18 IST
दुनिया में सबसे पहला रोजा किसने रखा, यहां जानें रमजान का महत्व