Monday, September 29, 2025
25.2 C
Surat

होली में एक दूसरे को क्यों लगाते हैं रंग? कब से हुई इसकी शुरुआत? हरिद्वार के ज्योतिषी से जानें महत्व


Last Updated:

Holi 2025: हर साल फाल्गुन पूर्णिमा के दिन होली का पर्व मनाया जाता है. इस त्यौहार को लेकर लोगों के मन में यही सवाल उठता है कि बुराई पर अच्छाई के जीत के इस त्यौहार पर रंगों का प्रचलन कैसे शुरू हुआ? आइए जानते हैं.

X

होली

होली पर रंगों का प्रचलन 

हाइलाइट्स

  • होली भाईचारे का प्रतीक पर्व है.
  • होली पर रंग लगाने की परंपरा श्री कृष्ण से जुड़ी है.
  • पहले प्राकृतिक रंगों से होली खेली जाती थी.

ओम प्रयास /हरिद्वार. साल भर में होने वाले सभी विशेष पर्वों में होली का पर्व बेहद ही खास और महत्वपूर्ण होता है. इस त्यौहार को भाईचारे का प्रतीक माना गया है. इस दिन लोग अपनी पुरानी दुश्मनी भुलाकर एक दूसरे को गले लगाते हैं. होली पर एक दूसरे को रंग लगाकर भाईचारे का यह त्यौहार हर्षो उल्लास और खुशियों के साथ मनाया जाता है. इस दिन लोग एक दूसरे को रंग लगाते हैं. प्राचीन समय में प्राकृतिक रंगों से होली खेली जाती थी, लेकिन बदलते वक्त के साथ केमिकल आदि से यह त्यौहार मनाया जाता है. धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन होलिका नामक राक्षसी अपने कर्मों के कारण आग में जल गई थी. इसलिए हर साल फाल्गुन पूर्णिमा के दिन होली का पर्व मनाया जाता है. इस त्यौहार को लेकर लोगों के मन में यही सवाल उठता है कि बुराई पर अच्छाई के जीत के इस त्यौहार पर रंगों का प्रचलन कैसे शुरू हुआ?

होली पर रंगों का प्रचलन कैसे शुरू हुआ इस सवाल का जवाब देते हुए हरिद्वार के पंडित श्रीधर शास्त्री बताते हैं कि होली का पर्व हिंदू धर्म में होने वाले विशेष पर्वों में से एक है. यह त्यौहार भाईचारे का प्रतीक और बुराई पर अच्छाई का त्यौहार है. इस दिन लोग एक दूसरे को रंग लगाकर त्यौहार मनाते हैं. इस दिन होलिका नामक राक्षसी का पुतला बनाकर जलाया जाता है और एक दूसरे को रंग लगाकर त्यौहार मनाया जाता है. होली के दिन पुरानी दुश्मनी मतभेद आदि सभी भुलाकर लोग भाईचारे के साथ मिलते हैं और इस त्यौहार को मानते हैं.

धार्मिक ग्रंथो के अनुसार विष्णु भगवान के संपूर्ण कलाओं से संपन्न अवतार श्री कृष्ण का रंग काला था और राधा का रंग गोरा था. इस पर जब श्री कृष्ण ने अपनी माता यशोदा को कहा कि मेरा रंग काला है और राधा का रंग गोरा तो उस पर माता यशोदा ने कृष्ण को कहा कि जो रंग तुम्हारा है वही रंग तुम राधा को भी लगा दो, तो वह भी तुम्हारे जैसी ही हो जाएगी. यह पूरा प्रकरण फाल्गुन मास में ही हुआ था और इसी के कारण होली पर रंगों का प्रचलन शुरू हुआ. प्राचीन समय में प्राकृतिक रंगों से होली खेली जाते थी लेकिन वर्तमान समय में केमिकल आदि से होली खेली जाती है जो त्वचा के लिए बेहद ही हानिकारक होते हैं.

NOTE: होली पर रंगों के प्रचलन की ज्यादा जानकारी के लिए आप हरिद्वार के पंडित श्रीधर शास्त्री से उनके फोन नंबर 9557125411 और 9997509443 पर संपर्क कर सकते हैं.

homedharm

होली में एक दूसरे को क्यों लगाते हैं रंग? कब से हुई इसकी शुरुआत?

Hot this week

Vastu tips for career। करियर में सफलता के सरल टिप्स

Last Updated:September 30, 2025, 04:45 ISTOffice Desk Vastu:...

Dussehra 2025 Rangoli Designs: दशहरा पर ऐसे बनाएं खास रंगोली डिजाइन

दशहरा, जिसे विजयादशमी भी कहा जाता है, भारत...

dussehra me sona patti ka importance। दशहरा पर सोना पत्ती के उपाय,

Dussehra Sona Patti Upay: भारत की सांस्कृतिक परंपराएं...

Topics

Dussehra 2025 Rangoli Designs: दशहरा पर ऐसे बनाएं खास रंगोली डिजाइन

दशहरा, जिसे विजयादशमी भी कहा जाता है, भारत...

dussehra me sona patti ka importance। दशहरा पर सोना पत्ती के उपाय,

Dussehra Sona Patti Upay: भारत की सांस्कृतिक परंपराएं...
spot_img

Related Articles

Popular Categories

spot_imgspot_img