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रमज़ान इस्लाम का पवित्र महीना है जिसमें रोज़ा रखना आत्मसंयम और धैर्य सिखाता है. शिया धर्मगुरु मौलाना सफदर हुसैन ज़ैदी ने रोज़ेदारों से स्वास्थ्य का ध्यान रखने और जरूरतमंदों की मदद करने की अपील की है.

शिया धर्मगुरु
हाइलाइट्स
- रोज़े के दौरान पोषण युक्त भोजन करें.
- सहरी और इफ्तार में पर्याप्त पानी पिएं.
- धूप और गर्मी से बचें, छायादार स्थानों पर रहें.
राज सैनी/जौनपुर. रमज़ान इस्लाम धर्म का सबसे पवित्र महीना है, जिसमें पूरी दुनिया के मुस्लिम समुदाय के लोग अल्लाह की इबादत में लीन रहते हैं. इस दौरान रोज़ा रखना न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि आत्मसंयम, धैर्य और मानवता की सीख भी देता है. शिया धर्मगुरु ने इस अवसर पर सभी रोज़ेदारों से विशेष सावधानी बरतने की अपील की है, ताकि रोज़े के दौरान स्वास्थ्य से जुड़ी किसी भी समस्या से बचा जा सके.
रोज़े के दौरान स्वास्थ्य का ध्यान रखना जरूरी
शिया धर्मगुरु मौलाना सफदर हुसैन ज़ैदी ने कहा कि रोज़ा सिर्फ भूखे-प्यासे रहने का नाम नहीं है, बल्कि यह आत्मिक शुद्धि और खुदा के प्रति समर्पण की भावना को बढ़ाने का जरिया है. हालांकि, रोज़े के दौरान शरीर में पानी और ऊर्जा की कमी हो सकती है, जिससे कमजोरी, सिरदर्द और डिहाइड्रेशन जैसी समस्याएं हो सकती हैं. इसलिए उन्होंने रोज़ेदारों से कुछ खास बातों का ध्यान रखने की अपील की है:
1. सहरी में पोषण युक्त भोजन करें – रोज़ेदारों को सहरी में प्रोटीन और फाइबर से भरपूर खाना लेना चाहिए, ताकि दिनभर ऊर्जा बनी रहे. अत्यधिक तला-भुना और मसालेदार भोजन से बचना चाहिए.
2. पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं – सहरी और इफ्तार के दौरान अधिक मात्रा में पानी पीने से डिहाइड्रेशन से बचा जा सकता है. कैफीनयुक्त पेय पदार्थों जैसे चाय और कॉफी का सेवन कम करना चाहिए.
3. धूप और गर्मी से बचें – गर्मी के मौसम में धूप में ज्यादा समय बिताने से शरीर में पानी की कमी हो सकती है. इसलिए रोज़ेदारों को कोशिश करनी चाहिए कि वे छायादार स्थानों पर रहें और अधिक परिश्रम वाले काम न करें.
4. बीमार और कमजोर लोग डॉक्टर की सलाह लें – जो लोग पहले से ही किसी बीमारी से पीड़ित हैं, वे डॉक्टर की सलाह लेकर ही रोज़ा रखें. इस्लाम में भी बीमार, बुजुर्ग और गर्भवती महिलाओं को छूट दी गई है.
रोज़े का आध्यात्मिक महत्व
शिया धर्मगुरु मौलाना सफदर हुसैन ज़ैदी ने बताया कि रोज़ा सिर्फ भूख-प्यास सहने का नाम नहीं, बल्कि यह आत्मसंयम और परहेजगारी की सीख देता है. रमज़ान के दौरान झूठ, ग़ीबत (चुगली), और ग़लत कामों से दूर रहना चाहिए. रोज़ा इंसान को संयम और सब्र सिखाता है और उसके अंदर ईमानदारी और परोपकार की भावना को मजबूत करता है.
सद्भावना और एकता की अपील
रमज़ान का महीना केवल उपवास का ही नहीं, बल्कि भाईचारे और इंसानियत का संदेश देने का भी है. शिया धर्मगुरु मौलाना सफदर हुसैन ज़ैदी ने सभी समुदायों से आपसी प्रेम और सौहार्द बनाए रखने की अपील की. उन्होंने कहा कि इस पवित्र महीने में गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करना सबसे बड़ा पुण्य माना जाता है. इसलिए हर रोज़ेदार को दान-दक्षिणा और गरीबों को इफ्तार कराने का प्रयास करना चाहिए. रमज़ान आत्मसंयम, इबादत और सेवा का महीना है. शिया धर्मगुरु मौलाना सफदर हुसैन ज़ैदी ने सभी रोज़ेदारों से अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखने, संतुलित आहार लेने और जरूरतमंदों की सहायता करने की अपील की है. साथ ही उन्होंने कहा कि रमज़ान का असली मकसद अल्लाह की इबादत के साथ-साथ समाज में शांति, प्रेम और सद्भाव को बढ़ावा देना है.
Jaunpur,Uttar Pradesh
March 04, 2025, 16:34 IST
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