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300 साल पुराना मंदिर और होली जैसा नज़ारा! जानिए क्यों 12 दिन तक अबीर-गुलाल से खेलते हैं ठाकुरजी?


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Holi 2025: जामनगर के 300 साल पुराने द्वारकाधीश मंदिर में 9 मार्च 2025 से 10-12 दिन तक फूलदोलोत्सव मनाया जाएगा. श्रीनाथजी को अबीर, गुलाल और चंदन से खेलाया जाएगा.

गुजरात के इस मंदिर 12 दिन तक अबीर-गुलाल से खेलते हैं ठाकुरजी! जानिए क्यों?

हाइलाइट्स

  • जामनगर के 300 साल पुराने मंदिर में फूलदोलोत्सव मनाया जाएगा.
  • श्रीनाथजी को अबीर, गुलाल और चंदन से खेलाया जाएगा.
  • उत्सव 9 मार्च 2025 से 10-12 दिन तक चलेगा.

जामनगर: जिस तरह अभी द्वारका में फूलदोल उत्सव मनाया जा रहा है, उसी तरह जामनगर के 300 साल पुराने द्वारकाधीश मंदिर में भी फूलदोलोत्सव मनाया जाएगा. श्रीनाथजी को दिनभर अबीर, गुलाल और चंदन से खेलाया जाएगा. यहां कल से फूलदोलोत्सव की शुरुआत होगी. श्री द्वारकाधीश मंदिर में पुष्टिमार्गीय वैष्णव परंपरा के अनुसार ठाकुरजी की सेवा पूजा की जाती है और सालभर सभी त्योहारों का आयोजन होता है. जन्माष्टमी पर श्री कृष्ण जन्मोत्सव और दिवाली के बाद कार्तिक सुद सातम के दिन परंपरागत रूप से अन्नकूट उत्सव मनाया जाता है. इसके अलावा, भक्तों की मांग के अनुसार ध्वजारोहण सहित अन्य मनोरथ भी आयोजित होते रहते हैं.

10 से 12 दिन तक चलेगा फूलदोलोत्सव
बता दें कि जिस तरह अभी द्वारका में फूलदोल उत्सव मनाया जा रहा है, उसी तरह जामनगर के इस मंदिर में भी फूलदोल उत्सव मनाया जाएगा. श्रीनाथजी को दिनभर अबीर, गुलाल और चंदन से खेलाया जाएगा. जामनगर के इस मंदिर में 10 से 12 दिन तक इस उत्सव का आयोजन होगा, जिसकी शुरुआत कल यानी 9 मार्च 2025 से हो रही है. हजारों भक्तों के लिए बाहर से किसी भी प्रकार का रंग या पानी लाने की मनाही है. मंदिर की तरफ से ही फूल, पानी और रंग की व्यवस्था की जाती है. हर रोज डेढ़ से दो घंटे तक मंदिर के अंदर ठाकुरजी के साथ होली खेलने का आयोजन होता है. यह फूलदोल उत्सव होली के आगमन का स्वागत करने के लिए मनाया जाता है.

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मंदिर के इतिहास के बारे में बात करते हुए रमेशभाई ने Bharat.one को बताया कि यह मंदिर 300 साल पुराना है. राजा-रजवाड़ों के समय से भगवान यहां विराजमान हैं. जो लोग द्वारका दर्शन के लिए नहीं जा सकते, उन्हें जामनगर में ही द्वारका जितना पुण्य मिले और उनकी सभी इच्छाएं पूरी हों, ऐसी भगवान श्रीकृष्ण की आज्ञा मानी जाती है. वर्तमान में बड़ी हवेली द्वारा इस मंदिर का संचालन किया जाता है और पुष्टिमार्गीय संप्रदाय के अनुसार मंगला दर्शन, स्वयं दर्शन सहित कई नित्यक्रम मनाए जाते हैं.

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