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चार ईंटों से बना था ये मंदिर, 400 सालों से न्याय का केंद्र, झूठ बोलने वालों को तुरंत मिलती है सजा!


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Siddheshwari Mata Temple: गुजरात के बनासकांठा जिले के वरसडा गांव में स्थित 400 साल पुराना सिद्धेश्वरी माता का मंदिर न्याय और आस्था का केंद्र है. हर रविवार हजारों भक्त पैदल यात्रा कर दर्शन के लिए आते हैं.

400 सालों से न्याय का केंद्र ये मंदिर, झूठ बोलने वालों को तुरंत  मिलती है सजा!

400 साल पुराने सिद्धेश्वरी माता मंदिर

हाइलाइट्स

  • सिद्धेश्वरी माता का मंदिर 400 साल पुराना है.
  • मंदिर में झूठ बोलने वालों को सजा मिलती है.
  • हर रविवार हजारों भक्त दर्शन के लिए आते हैं.

बनासकांठा: गुजरात के बनासकांठा जिले के वडगाम तालुका के वरसडा गांव में स्थित सिद्धेश्वरी माता (सधी माता) का मंदिर श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण आस्था का केंद्र है. 400 साल से भी पुराना यह मंदिर, जो पहले केवल चार ईंटों से बना था, अब हजारों भक्तों द्वारा हर हफ्ते श्रद्धापूर्वक दौरा किया जाता है.

लोककथाओं के अनुसार, इस मंदिर का इतिहास 400 साल से भी पुराना है. सिंध प्रदेश से आए भक्तों ने इस मंदिर की स्थापना केवल चार ईंटों से की थी. वर्षों बाद, गांववालों ने माताजी के आशीर्वाद से नया मंदिर बनाया, और आज यह श्रद्धा और आस्था का बड़ा केंद्र बन गया है. वरसडा गांव की स्थापना 1445 में हुई थी और उस समय वहां मुस्लिम जागीरदार रहते थे. कहा जाता है कि जब वे गांव छोड़कर चले गए, तो सिद्धेश्वरी माता ने वहीं स्थिर होने का निर्णय लिया और यह स्थान मंदिर में परिवर्तित हो गया.

न्याय की देवी
माताजी के मंदिर को न्याय की देवी के रूप में जाना जाता है. मान्यता है कि अगर कोई व्यक्ति झूठी कसम खाता है तो उसे भयानक परिणाम भुगतने पड़ते हैं. इसलिए, कई भक्त न्याय के लिए यहां माताजी के आशीर्वाद लेने आते हैं. मंदिर की स्थापना के आरंभकाल में, भक्तों ने वहां एक दान पेटी रखी थी, और एक साल बाद उसमें से 11,000 की राशि मिली, जिसे माताजी का चमत्कार माना गया.

पशुपालकों की आस्था
भक्त माताजी को दूध, शक्कर और नारियल अर्पित करते हैं. दूध पूजा विधि के लिए उपयोग में लिया जाता है और बाकी भक्तों में बांटा जाता है. हर रविवार हजारों भक्त पैदल यात्रा करके माताजी के दर्शन के लिए आते हैं. मंदिर ट्रस्ट द्वारा भक्तों के लिए भोजन, पानी और निवास की पूरी व्यवस्था की जाती है.

रोजगार का बड़ा माध्यम
मंदिर केवल धार्मिक केंद्र ही नहीं है, यह स्थानीय व्यापारियों के लिए रोजगार का भी महत्वपूर्ण साधन बन गया है. हर रविवार यहां मेले जैसा माहौल रहता है, जहां छोटे व्यापारी और व्यापारी समूह धंधा करते हैं. मंदिर में सेवाभावी लोगों द्वारा भक्तों की सेवा के लिए विभिन्न व्यवस्थाएं की जाती हैं.

सिद्धेश्वरी माता का मंदिर श्रद्धालुओं के लिए केवल आस्था का स्थल नहीं है, बल्कि न्याय और समर्पण का प्रतीक भी है. माताजी के आशीर्वाद से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होने की अनगिनत घटनाएं हैं. वर्षों बाद भी, भक्तों की श्रद्धा और विश्वास इसे एक दिव्य और पवित्र तीर्थस्थल बनाते हैं. हर रविवार हजारों लोग यहां भक्ति भाव से माताजी के दर्शन करने आते हैं, और उनका जीवन माताजी के आशीर्वाद से सुखद बनता है.

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हजारों भक्तों की आस्था
वर्तमान में, हर रविवार मंदिर में 4000-5000 भक्त आते हैं, जिनमें से कई लोग पैदल चलकर आते हैं. भक्त अपनी मान्यता पूरी करने के लिए शक्कर, पेड़ा, नारियल, अगरबत्ती आदि लाते हैं. पशुपालक अपने पशुओं का दूध माताजी को चढ़ाते हैं, जिसमें से कुछ भाग का उपयोग धूप के लिए होता है और बाकी का दूध भक्तों की सेवा के लिए उपयोग में लिया जाता है. मंदिर ट्रस्ट द्वारा भक्तों के लिए चाय-पानी, भोजन की व्यवस्था और एक धर्मशाला की भी व्यवस्था की गई है. हर रविवार यहां मेले जैसा माहौल देखने को मिलता है, जिससे आसपास के गरीब और छोटे व्यापारियों को रोजगार भी मिलता है.

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400 सालों से न्याय का केंद्र ये मंदिर, झूठ बोलने वालों को तुरंत मिलती है सजा!

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