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Ramadan 2025: इस्लाम धर्म में रोजे रखने का बड़ा महत्व होता है. रोजे के दौरान खाने-पीने से परहेज किया जाता है. क्या रोजे के दौरान किसी की जान बचाने के लिए खून देने से रोजेदार का रोजा टूट जाता है, या फिर बरकरार र…और पढ़ें
क्या किसी की जान बचाने के लिए खून देने से रोज़ा टूट जाता है
हाइलाइट्स
- रोजे के दौरान खून देने से रोजा नहीं टूटता.
- जान बचाने के लिए खून देना इस्लाम में मान्य है.
- इंजेक्शन लगवाने से भी रोजा नहीं टूटता.
वसीम अहमद /अलीगढ़. इस्लाम में रोज़ा रखना एक महत्वपूर्ण इबादत है, जिसे पूरी शिद्दत और एहतियात के साथ रखा जाता है. रोज़े के दौरान खाने-पीने और कुछ विशेष कार्यों से परहेज़ करना ज़रूरी होता है, ताकि इसका सही उद्देश्य पूरा हो सके. लेकिन कुछ हालात ऐसे होते हैं, जहां इंसानियत और जरूरतमंदों की मदद पहली प्राथमिकता बन जाती है. ऐसे ही एक सवाल पर इस्लाम में चर्चा की जाती है कि यदि कोई व्यक्ति रोज़े की हालत में किसी की जान बचाने के लिए खून देता है, तो क्या उसका रोज़ा टूट जाएगा या नहीं? यह मसला धार्मिक और मेडिकल दोनों नजरियों से अहम है, इसलिए इस पर सही जानकारी होना जरूरी है. तो चलिए आपको बताते हैं कि ऐसे समय मे रोज़ेदार का रोज़ा टूटेगा या नहीं.
जानकारी देते हुए मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना इफराहीम हुसैन बताते हैं कि रोजे की हालत में अगर किसी को अपने खून की जांच करानी पड़ी तो वह करा सकता है और किसी की जान बचाने के लिए रोज़ेदार को अगर खून देना पड़े तो दिया जा सकता है. इससे उसका रोजा नहीं टूटेगा. साथ ही अगर कोई रोज़दार इंजेक्शन लगवाता है तो इससे भी रोजेदार के रोजे पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा. उसका रोजा माना जाएगा.
मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना इफराहीम हुसैन ने कहा कि अगर किसी व्यक्ति की जान पर बन आई है और उसको खून की जरूरत है और किसी का खून मिलने से उसकी जान बच सकती है तो ऐसे में कोई भी रोजेदार रोजा रहते हुए भी खून दे सकता है. रोजेदार का इस बात से कोई असर नहीं होगा यानी कि रोजेदार का रोजा नहीं टूटेगा. रोजेदार का रोजा बरकरार रहेगा. ऐसी हालत में रोजेदार को रोजा तोड़ने की भी कोई जरूरत नहीं है. ऐसी स्थिति में अगर खून देना है तो दिया जा सकता है. ऐसे में रोजगार का रोजा टूटेगा नहीं उसका रोजा बरकरार रहेगा.
Aligarh,Uttar Pradesh
March 10, 2025, 09:53 IST
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