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Surya-Budh Yuti: क्या आपकी कुंडली में है बुधादित्य योग? राजयोग के बाद भी नहीं मिल रही सफलता, कहीं ये वजह तो नहीं


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Surya-Budh Yuti: कुंडली में जब सूर्य और बुध साथ में होते हैं, तो इसे बुद्धादित्य योग कहा जाता है, जो एक राजयोग भी बन सकता है. लेकिन यह युति कुंडली में अच्छा फल देगी या बुरा, यह कई कारकों पर निर्भर करता है.

क्या आपकी कुंडली में है बुधादित्य योग?  नहीं मिल रही सफलता, ये वजह तो नहीं!

इस योग को बुद्धादित्य योग भी कहते हैं

हाइलाइट्स

  • सूर्य-बुध युति को बुद्धादित्य योग कहते हैं.
  • यह योग व्यक्ति को तीव्र बुद्धि और नेतृत्व कौशल देता है.
  • शुभ ग्रहों के प्रभाव में यह योग अच्छा फल देता है.

Surya-Budh Yuti: जब जन्मकुंडली में सूर्य और बुध एक ही राशि में स्थित होते हैं, तो इसे सूर्य-बुध युति कहा जाता है. इस योग को बुद्धादित्य योग भी कहते हैं क्योंकि यह सूर्य (आत्मा और आत्मविश्वास) और बुध (बुद्धि और तर्कशक्ति) के मेल से बनता है. यह योग व्यक्ति को तीव्र बुद्धि, विश्लेषणात्मक क्षमता और नेतृत्व कौशल प्रदान करता है. इसके प्रभाव से व्यक्ति गहरी सोच रखने वाला, आत्मनिर्भर और तर्कशील बनता है. लेकिन यह युति कुंडली में अच्छा फल देगी या बुरा, यह कई कारकों पर निर्भर करता है. इस बारे में बता रहे हैं ज्योतिषाचार्य अंशुल त्रिपाठी.

सूर्य और बुध कुंडली के कारक ग्रह हैं या मारक ग्रह
अगर कुंडली में सूर्य और बुध शुभ ग्रह के रूप में स्थित हों, तो युति का प्रभाव अच्छा होगा. अगर ये पाप ग्रहों के प्रभाव में हों, तो नकारात्मक परिणाम मिल सकते हैं.

सूर्य और बुध की युति किस राशि में हो रही है
यह कन्या, मिथुन या सिंह राशि में हो, तो बहुत शुभ फल देती है. अगर तुला राशि में हो, तो सूर्य नीच का हो जाता है और इसका प्रभाव कमजोर हो सकता है.

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सूर्य-बुध की युति किस भाव में स्थित है
अगर यह लग्न, पंचम, नवम या केंद्र-त्रिकोण भाव में हो, तो बहुत शुभ फल देती है. अगर छठे, आठवें या द्वादश भाव में हो, तो कमजोर फल मिल सकते हैं.

सूर्य-बुध की युति का केंद्र और त्रिकोण भाव में प्रभाव

अगर यह युति केंद्र (1, 4, 7, 10) या त्रिकोण (5, 9) भाव में हो, तो व्यक्ति-

  • बहुत बुद्धिमान, संस्कारी और गुणवान होता है.
  • शिक्षा और अध्ययन में रुचि रखता है, जिससे उच्च डिग्रियां प्राप्त कर सकता है.
  • गहरी सोच और विश्लेषण क्षमता रखता है, जिससे कार्यों को बारीकी से जांचता है.
  • स्मरण शक्ति बहुत तेज होती है, जिससे छोटी-छोटी बातें भी लंबे समय तक याद रहती हैं.
  • अगर कुंडली में शुक्र शुभ हो, तो व्यक्ति संगीत, नृत्य, पेंटिंग, गायन आदि कलाओं में निपुण हो सकता है.
  • गुरु की शुभ दृष्टि पड़ने पर व्यक्ति शिक्षक, लेखक, कवि, पत्रकार जैसे बुद्धिजीवी कार्यों में सफलता प्राप्त करता है.
  • अगर अष्टम भाव से संबंध हो, तो व्यक्ति ज्योतिष, वास्तु, रत्न शास्त्र आदि में गहरी रुचि रखता है.

सूर्य-बुध की युति का करियर और धन पर प्रभाव

  • इस योग वाले लोग अक्सर ऑफिस में बैठकर काम करने वाले होते हैं और पेपर वर्क से अधिक लाभ प्राप्त करते हैं.
  • ऐसे लोग बुद्धि और वाणी से पैसा कमाते हैं, मेहनत से अधिक दिमाग से लाभ उठाते हैं.
  • 32 वर्ष के बाद ये लोग जीवन में बड़ी सफलता प्राप्त करते हैं, समाज में सम्मान और प्रतिष्ठा पाते हैं.
  • अगर युति द्वितीय भाव में हो, तो व्यक्ति चतुर वक्ता, अच्छे सेल्समैन बन सकता है.
  • यह युति जिस भाव में होती है, उस भाव के फल भी अच्छे होते हैं.

उदाहरण
अगर बुध तीसरे भाव का स्वामी हो और सूर्य पंचम भाव का, तो तीसरे भाव का भी अच्छा फल मिलेगा, जिससे व्यक्ति की कम्युनिकेशन स्किल्स, लेखन क्षमता और मानसिक ताकत बढ़ती है.

सूर्य-बुध की कमजोर युति के उपाय
अगर कुंडली में सूर्य नीच का हो या बुध कमजोर हो, तो शुभ फल प्राप्त करने के लिए कुछ उपाय करने चाहिए-

सूर्य को जल अर्पित करें: रोज़ तांबे के लोटे में जल भरकर उसमें दूर्वा डालकर सूर्य को अर्घ्य दें.

गायत्री मंत्र का जाप करें: इससे बुध और सूर्य दोनों का बल बढ़ता है.

गणपति की आराधना करें: बुध ग्रह को मजबूत करने के लिए गणपति मंत्रों का जाप करें.

विष्णु भगवान की पूजा करें: बुध कमजोर हो तो विष्णु जी की पूजा करनी चाहिए.

रत्न धारण करें: किसी ज्ञानी ज्योतिषी से परामर्श लेकर माणिक (सूर्य) या पन्ना (बुध) धारण करें.

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सूर्य-बुध युति से लाभ उठाने के उपाय

अहंकार से बचें: हमेशा अपनी बात मनवाने की प्रवृत्ति से बचें और दूसरों की राय को भी महत्व दें.

ध्यान और मेडिटेशन करें: यह योग गहन चिंतन का योग है, इसलिए ध्यान करने से मानसिक शांति मिलेगी.

अपनी योजना गोपनीय रखें: किसी भी नए कार्य की योजना को पहले से सबको न बताएं, अन्यथा सफलता में रुकावट आ सकती है.

संतुलित निर्णय लें: भावनाओं में बहकर बड़े फैसले न लें, बल्कि सोच-समझकर निर्णय लें.

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