Wednesday, October 1, 2025
28 C
Surat

सहारनपुर के बाबा नारायण दास जुड़ मंदिर की महिमा और इतिहास.


Last Updated:

सहारनपुर के जड़ौदा पांडा गांव में बाबा नारायण दास जुड़ मंदिर की महत्ता देशभर में है. सरकार ने मंदिर के सौंदर्यकरण के लिए 10 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं.

X

Saharanpur

Saharanpur temple

हाइलाइट्स

  • बाबा नारायण दास मंदिर के सौंदर्यकरण के लिए 10 करोड़ स्वीकृत.
  • बाबा नारायण दास को 12 गांवों के लोग कुल देवता मानते हैं.
  • बाबा नारायण दास की समाधि पर दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं.

सहारनपुर: सहारनपुर जनपद धार्मिक मान्यताओं से भरा हुआ है, जहां देशभर से श्रद्धालु विभिन्न मंदिरों में पूजा करने आते हैं. ऐसा ही एक मंदिर सहारनपुर के महाभारतकालीन गांव जड़ौदा पांडा में स्थित है. यहां बाबा नारायण दास जुड़ मंदिर की महत्ता पूरे देश में है. बाबा के वंश से जुड़े 12 गांवों जड़ौदा पांडा, किशनपुरा, जयपुर, शेरपुर, घिसरपड़ी, किशनपुर, चरथावल, खुशरोपुर, मोगलीपुर, चोकड़ा, घिस्सूखेड़ा, न्यामू के लोग उन्हें अपना कुल देवता मानते हैं. करीब 700 साल पहले ग्राम जड़ौदा पांडा में उग्रसेन और माता भगवती के घर बाबा नारायण दास का जन्म हुआ था. बाबा नारायण दास भगवान शिव के भक्त थे और उन्होंने कई जगह जाकर तपस्या की. उन्होंने अपनी 80 बीघा जमीन शिव मंदिर में दान दी और महाभारत कालीन शिव मंदिर के पास साधना करते हुए अपने सेवक, घोड़े और कुत्ते के साथ धरती मां की गोद में समा गए थे. वहीं उनकी समाधि बना दी गई जो आज भी मौजूद है और यहां दूर-दूर से लोग अपनी मनोकामनाओं को लेकर आते हैं, जिन्हें बाबा नारायण दास पूरा करते हैं. सरकार ने भी महाभारत कालीन गांव जड़ौदा पांडा के बाबा नारायण दास मंदिर के सौंदर्यीकरण के लिए 10 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की है.

बाबा नारायण दास के द्वारा 12 गांव में विभिन्न होते हैं चमत्कार
ग्रामीण पंडित पंकज शर्मा ने Bharat.one से बात करते हुए बताया कि यहां बाबा नारायण दास का समाधि स्थल है और वे इस गांव की दिव्य शक्ति हैं. लगभग 700 साल पहले बाबा ने यहां समाधि ली थी. प्रतिदिन लोग यहां सेवा भाव से आते हैं. यह जुड़ मंदिर कहलाता है क्योंकि यहां पहले बांस का वन था, जहां बाबा ने समाधि ली थी. इसीलिए इसे जुड़ मंदिर कहा जाता है. लोगों ने यहां विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियां भी स्थापित की हैं. बाबा नारायण दास श्री पंचायती उदासीन अखाड़े से जुड़े थे और शिव भक्त थे. उन्होंने दूर-दूर तक तपस्या की और फिर अपने गांव में आकर समाधि ली. हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष में रविवार को यहां विशाल भंडारे का आयोजन होता है और प्रसाद के रूप में पतासे चढ़ाए जाते हैं. दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालु यहां संतान, नौकरी और स्वास्थ्य से जुड़ी मनोकामनाएं करते हैं और उनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. बाबा की कृपा से गांव के 12 गांवों में कोई चोरी नहीं होती, क्योंकि चोर आते ही घर में सो रहे व्यक्तियों की आंखें खुल जाती हैं. इसी कारण यहां कभी चोरी नहीं हुई है.

homedharm

सहारनपुर के बाबा नारायण दास जुड़ मंदिर की महत्ता देशभर में…

Hot this week

Karwa Chauth 2025 date। करवा चौथ 2025 मुहूर्त

Last Updated:October 01, 2025, 15:26 ISTKarwa Chauth 2025:...

Topics

Karwa Chauth 2025 date। करवा चौथ 2025 मुहूर्त

Last Updated:October 01, 2025, 15:26 ISTKarwa Chauth 2025:...
spot_img

Related Articles

Popular Categories

spot_imgspot_img